हंसी-दिल्लगी
टेसू
स्वागत
मेह बरसाते टेसू आये। मौज उड़ाते टेसू आये।
वर्षा होती मूसलधार। टेसू गावे खूब मलार ।
खूब शरतमें टेसू आया। टेसू राजाके मनभाया ।
अच्छा हुआ समयका फेर। कमल नहीं कीचड़का ढेर ।
रिमझिम रिमझिम बरसे पानी। टेसू बोले सुनरी नानी ।
चुप क्यों बैठी है मरजानी। बढ़ियासी एक सुना कहानी ।
कर्जन-फुलर
नानी बोली टेसूलाल । कहती हूं तुझसे सब हाल ।
मास नवम्बर कर्जन लाट । उलट चले शासनका ठाट ।
फुलरजंगको गद्दी देकर । चल दिये अपनासा मुँह लेकर ।
फुलरजंगने की वह जंग। सब बंगाल हो गया दंग।
लड़कोंसे की खूब लड़ाई। गुरखोंकी पलटन बुलवाई।
किया मातरम् बन्दे बन्द। और सभाएँ रोकी चन्द ।
जोर स्वदेशीका दबवाया। जगह जगह पर लठ चलवाया।
बरीसालमें की वह करनी। जिसकी महिमा जाय न वरनी ।
अन्ततलक लड़कोंसे लड़े। आखिरको उल्टे मुँह पड़े।
पकड़ा पूरा एक न साल। आप गये रह गया अकाल ।
खूब वचन गुरुवरका पाला। पर आखिरको हुआ दिवाला ।
प्रिंस आफ वेल्स
सपत्नीक युवराज पधारे। धन्य हुए तब भाग हमारे ।
कई महीने दौरा किया। घाट घाटका पानी पिया।
जहां तहाँपर हुई दिवाली। खूब दिखाई दी खुशहाली ।
कूच हुआ जब उनका डेरा। रहा हिन्दमें वही अँधेरा ।
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पृष्ठ:गुप्त-निबन्धावली.djvu/७३६
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