पृष्ठ:गुप्त धन 1.pdf/१७०

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बाँका ज़मींदार ठाकुर प्रद्युम्न सिंह एक प्रतिष्ठित वकील थे और अपने हौसले और हिम्मत के लिए सारे शहर में मशहूर । उनके दोस्त अक्सर कहा करते कि अदालत की इजलास में उनके मर्दाना कमाल ज्यादा साफ़ तरीक़ पर जाहिर हुआ करते हैं। इसी की बरकत थी कि वाबजूद इसके कि उन्हें शायद ही कभी किसी मामले में सुखरूई हासिल होती थी, उनके मुवक्किलों की भक्ति-भावना में ज़र्रा भर भी फ़र्क नहीं आता था। इन्साफ़ की कुर्सी पर बैठनेवाले बड़े लोगों की निडर आजादी पर किसी प्रकार का सन्देह करना पाप ही क्यों न हो, मगर शहर के जानकार लोग ऐलानिया कहते थे कि ठाकुर साहब जव किसी मामले में जिद पकड़ लेते हैं तो उनका बदला हुआ तेवर और तमतमाया हुआ चेहरा इन्साफ़ को भी अपने वश में कर लेता है। एक से ज्यादा मौकों पर उनके जीवट और जिगरे ने वे चमत्कार कर दिखाये थे जहाँ कि इन्साफ़ और कानून ने जवाब दे दिया। इसके साथ ही ठाकुर साहब मर्दाना मुणों के सच्चे जौहरी थे। अगर मुवक्किल को कुश्ती में कुछ पैठ हो तो यह जरुरी नहीं था कि वह उनको सेवाएं प्राप्त करने के लिए रुपया-पैसा दे । इसीलिए उनके यहाँ शहर के पहलवानों और फेकैतों का हमेशा जमघट रहता था और यही वह जबर्दस्त प्रभावशाली और व्यावहारिक कानूनी बारीकी थी जिसकी काट करने में इन्साफ़ को भी आगा-पीछा सोचना पड़ता। वे गर्व और सच्चे गर्व की दिल से कदर करते थे। उनके बेतकल्लुफ़ घर की ड्योढ़ियाँ बहुत ऊँची थीं। वहाँ झुकने की जरूरत न थी। इन्सान खूब सिर उठाकर जा सकता था। यह एक विश्वस्त कहानी है कि एक बार उन्होंने किसी मुकदमे को बावजूद बहुत विनती और आग्रह के हाथ में लेने से इनकार किया। मुवक्किल कोई अक्खड़ देहाती था। उसने जब आरजू-मिन्नत से काम निकलते न देखा तो हिम्मत से काम लिया। वकील साहब कुर्सी से नीचे गिर पड़े और बिफरे हुए देहाती को सीने से लगा लिया। २ घन और धरती के बीच आदिकाल से एक आकर्षण है। धरती में साधारण