पृष्ठ:गुप्त धन 1.pdf/२०३

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अपनी करनी १९१

आसमान साफ़ हो गया - अपनी दीवानगी के नशे में मैंने उस देवी की कद्र न की। मैंने उसे जलाया, रुलाया, तड़पाया। मैंने उसके साथ दगा की। आह ! जब मैं दो-दो बजे रात को घर लौटता था तो मुझे कैसे कैसे बहाने सूझते थे, नित नये हीले गढ़ता था, शायद विद्यार्थी जीवन में जब बैण्ड के मजे मदरसे जाने की इजाजत न देते थे,उस वक्त भी बुद्धि इतनी प्रखर न थी। और क्या उस क्षमा की देवी को मेरी बातों पर यकीन आता था? वह भोली थी मगर ऐसी नादान न थी। मेरी खुमारभरी आँखें और मेरे उथले भाव और मेरे झूठेप्रेम-प्रदर्शन का रहस्य क्या उससे छिपा रह सकता था? लेकिन उसकी रग-रग में शराफत भरी हुई थी, कोई कमीना खयाल उसकी जबान पर नहीं आ सकता था। वह उन बातों का जिक्र करके या अपने सन्देहों को खुले आम दिखलाकर हमारे पवित्र सम्बन्ध में खिंचाव या बदमजगी पैदा करना बहुत अनुचित' समझती थी। मुझे उसके विचार, उसके माथे पर लिखें मालूम होते थे। उन वदमजगियों के मुताबिले में उसे जलना और रोना ज्यादा पसन्द था, शायद वह समझती थी कि मेरा नशा खुद-ब-खुद उतर जायगा। काश, इस शराफ़त के बदले उसके स्वभाव में कुछ ओछापन और अनुदारता भी होती। काश, वह अपने अधिकारों को अपने हाथ में रखना जानती। काश, वह इतनी सीधी न होती। काश, वह अपने मन के भावों को छिपाने में इतनी कुशल न होती। काश, वह इतनी मक्कार न होती। लेकिन मेरी मक्कारी और उसकी मक्कारी में कितना अंतर था, मेरी मक्कारी हरामकारी थी, उसकी मक्कारी आत्मबलिदान । एक रोज मैं अपने काम से फुरसत पाकर शाम के वक्त मनोरंजन के लिए आनन्दवाटिका में जा पहुंचा और संगमरमर के हौज पर बैठकर मछलियों का तमाशा देखने लगा। एकाएक निगाह ऊपर उठी तो मैंने एक औरत को वेले की झाड़ियों में फूल चुनते देखा। उसके कपड़े मैले थे और जवानी की ताज़गी और गर्व को छोड़कर उसके चेहरे में कोई खास बात न थी। उसने मेरी तरफ आँखें उठायीं और फिर अपने फूल चुनने में लग गयी, गोया उसने कुछ देखा ही नहीं। उसके इस अंदाज ने, चाहे वह उसकी सरलता ही क्यों न रही हो, मेरी वासना को और भी उद्दीप्त कर दिया। मेरे लिए यह एक नयी बात थी कि कोई औरत इस तरह देखे कि जैसे उसने नहीं देखा। मैं उठा और धीरे-धीरे, कभी ज़मीन और कभी आसमान की तरफ ताकते हुए बेले की झाड़ियों के पास जाकर खुद भी फूल चुनने लगा। इस ढिठाई का नतीजा यह हुआ कि वह मालिन की लड़की वहाँ से तेजी से साथ बाग़ के दूसरे हिस्से में चली गई।