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गुप्त धन
 

वर्षों तक आपसी लड़ाइयों का दौर रहा, हजारों खानदान मिट गये। सैकड़ों कस्वे वीरान हो गये। बाप, बेटे के खून का प्यासा था। भाई, भाई की जान का गाहक । जब आखिरकार आज़ादी की फ़तेह हुई तो उसने ताज के फ़िदाइयों को चुन-चुन कर मारा। मुल्क के कैदखाने देशभक्तों से भर उठे। उन्हीं जांबाजों में एक मिर्जा मंसूर भी था। उसे कन्नौज के किले में कैद किया गया जिसके तीन तरफ़ ऊंची दीवारें थीं और एक तरफ़ गंगा नदी। मंसूर को सारे दिन हथौड़े चलाना पड़ते। सिर्फ शाम को आध घण्टे के लिए नमाज़ की छुट्टी मिलती थी। उस वक्त मंसूर गंगा के किनारे आ बैठता और देशभाइयों की हालत पर रोता। वह सारी राष्ट्रीय और सामाजिक व्यवस्था जो उसके विचार में राष्ट्रीयता का आवश्यक अंग थी, इस हंगामे की बाढ़ में नष्ट हो रही थी। वह एक ठण्डी आह भरकर कहता-जयगढ़, अब तेरा खुदा ही रखवाला है, तूने खाक को अक्सीर बनाया और अक्सीर को खाक । तूने खानदान की इज्जत को, अदब और इखलाक़ को, इल्मो-कमाल को मिटा दिया, बर्बाद कर दिया। अब तेरी बागडोर हमारे हाथ में नहीं है, चरवाहे तेरे रखवाले और बनिये तेरे दरबारी हैं। मगर देख लेना यह हवा है, और चरवाहे और साहुकार एक दिन तुझे खून के आंसू रुलायेंगे। धन और वैभव अपना ढंग न छोड़ेगा, हुकूमत अपना रंग न बदलेगी, लोग चाहे बदल जायं, लेकिन निजाम वही रहेगा। यह तेरे नये शुभचिन्तक जो इस वक्त विनय और सत्य और न्याय की मूर्तियां बने हुए हैं, एक दिन वैभव के नशे में मतवाले होंगे, उनकी सख्तियां ताज की साख्तियों से कहीं ज्यादा सख्त होंगी और उनके जुल्म इससे कहीं ज्यादा तेज़!

इन्हीं खयालों में डूबे हुए मंसूर को अपने वतन की याद आ जाती। घर का नक़शा आंखों में खिंच जाता, मासूम बच्चे असकरी की प्यारी-प्यारी सूरत आंखों में फिर जाती, जिसे तक़दीर ने मां के लाड़-प्यार से वंचित कर दिया था। तब मंसूर एक ठण्डी आह खींचकर उठ खड़ा होता और अपने बेटे से मिलने की पागल इच्छा में उसका जी चाहता कि गंगा में कदकर पार निकल जाऊं।

धीरे-धीरे इस इच्छा ने इरादे की सूरत अख्तियार की। गंगा उमड़ी हुई थी, ओर-छोर का कहीं पता न था। तेज़ और गरजती हुई लहरें दौड़ते हुए पहाड़ों के समान थीं। पाट देखकर सर में चक्कर-सा आ जाता था। मंसूर ने सोचा, नदी उतरने दूं। लेकिन नदी उतरने के बदले भयानक रोग की तरह बढ़ती जाती थी, यहां तक कि मंसूर को फिर धीरज न रहा; एक दिन वह रात को उठा और उस पुरशोर लहरों से भरे हुए अंधेरे में कूद पड़ा।