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गुप्त धन
 


आलिंगन-पाश में बँधे हुए थे! कुमुदिनी, प्यारी कुमुदिनी के मुंह से आवाज़ न निकलती थी। हाँ, आँखों से आंसू जारी थे।

मिस लीला बाहर खड़ी कोमल आँखों से यह दृश्य देख रही थी। मैंने उसके हाथों को चूमकर कहा—प्यारी लीला, तुम सच्ची देवी हो, जब तक जियेंगे तुम्हारे कृतज्ञ रहेंगे।

लीला के चेहरे पर एक हल्की-सी मुस्कुराहट दिखायी दी। बोली—अब तो शायद तुम्हें मेरे शोक का काफी पुरस्कार मिल गया।