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सांसारिक प्रेम और देश-प्रेम
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कपड़े पहनकर गिरजाघरों में जा रहे हैं। कोई उदास सूरत नजर नहीं आती। ऐसे वक्त मैज़िनी और रफ़ेती दोनों उसी छोटी सी अंधेरी कोठरी में सर झुकाये खामोश बैठे हैं। मैजिनी ठण्डी आहें भर रहा है और रफ़ेती रह-रहकर दरवाज पर आता है और बदमस्त शराबियों को और दिनों से ज्यादा वकते और दोवानेपन की हरकतें करते देखकर अपनी गरीबी और मुहताजी की फ़िक्र दूर करना चाहता है। अफ़सोस! इटली का सरताज' जिसकी एक ललकार पर हजारों आदमी अपना खून बहाने के लिए तैयार हो जाते थे, आज ऐसा मुहताज हो रहा है कि उसे खाने का ठिकाना नहीं। यहाँ तक कि आज सुबह से उसने एक सिगार भी नहीं पिया। तम्बाकू ही दुनिया की वह नेमत थी जिससे वह हाथ नहीं खींच सकता था और वह भी आज उसे नसीब न हुआ। मगर इस वक्त उसे अपनी फ़िक्र नहीं, रफ़ेती, नौजवान, खुशहाल और खूबसूरत होनहार रफ़ेती की फ़िक्र जो पर भारी हो रही है। वह पूछता है कि मुझे क्या हक़ है कि मैं एक ऐसे आदमी को अपने साथ गरीबी को तकलीफें झेलने पर मजबूर करूँ जिसके स्वागत के लिए दुनिया की सब नेमतें बाँहें खोले खड़ी हैं।

इतने में एक चिट्ठीरसा ने पूछा—जोजेफ़ मैजिनी यहाँ कहीं रहता है? अपनी चिट्ठी ले जा।

रफ़ेती ने खत ले लिया और खुशी के जोश से उछलकर बोला—जोजेफ़, यह लो मण्डलीन का खत है।

मैजिनी ने चौंककर खत ले लिया और बड़ी बेसब्री से खोला। लिफ़ाफ़ा खोलते ही थोड़े से बालों का एक गुच्छा गिर पड़ा, जो मैग्डलीन ने क्रिसमस के उपहार के रूप में भेजा था। मैजिनी ने उस गुच्छे को चूमा और उसे उठाकर अपने सीने की जेब में खोंस लिया। खत में लिखा था—

माइ डियर जोजेफ,

यह तुच्छ भेंट स्वीकार करो। भगवान करे तुम्हें एक सौ क्रिसमस देखने नसीब हों। इस यादगार को हमेशा अपने पास रखना और ग़रीब मैग्डलीन को भूलना मत। मैं और क्या लिखू। कलेजा मुंह को आया जाता है। हाय जोजेफ़, मेरे प्यारे, मेरे स्वामी, मेरे मालिक जोजेफ़, तू मुझे कव तक तड़पायेगा। अब जब्त नहीं होता। आँखों में आँसू उमड़े आते हैं। मैं तेरे साथ मुसीबतें झेलूंगी, भूखों मरूंगी, यह सब मुझे गवारा है, मगर तुझसे जुदा रहना गवारा नहीं। तुझे क़सम है, तुझे अपने ईमान की कसम है, तुझे अपने वतन की क़सम, तुझे मेरी क़सम, यहाँ आ जा, यह