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गोदान : 129
 


पुरुष ने कौड़ी की-सी आंखें निकालकर कहा-तुम कौन हो?

गोबर ने नि:शंक भाव से कहा-मैं कोई हूं, लेकिन अनुचित बात देखकर सभी को बुरा लगता है।

पुरुष ने सिर हिलाकर कहा-मालूम होता है, अभी मेहरिया नहीं आई, तभी इतना दरद है।

'मेहरिया आएगी, तो भी उसके झोटे पकड़कर न खींचूंगा।'

'अच्छा, तो अपनी राह लो। मेरी औरत है, मैं उसे मारूंगा, काटूंगा। तुम कौन होते हो बोलने वाले। चले जाते सीधे से, यहां मत खड़े हो।'

गोबर का गर्म खून और गर्म हो गया। वह क्यों चला जाय? सड़क सरकार की है। किसी के बाप की नहीं है। वह जब तक चाहे, वहां खड़ा रह सकता है। वहां से उसे हटाने का किसी को अधिकार नहीं है।

पुरुष ने होंठ चबाकर कहा-तो तुम न जाओगे? आऊं?

गोबर ने अंगोछा कमर में बांध लिया और समर के लिए तैयार होकर बोला-तुम आओ या न आओ। मैं तो तभी जाऊंगा, जब मेरी इच्छा होगी।

'तो मालूम होता है, हाथ-पैर तुड़ा के जाओगे?'

'यह कौन जानता है, किसके हाथ-पांव टूटेंगे।'

'तो तुम न जाओगे?'

'ना।'

पुरुष मुट्ठी बांधकर गोबर की ओर झपटा। उसी क्षण युवती ने उसकी धोती पकड़ ली और उसे अपनी ओर खींचती हुई गोबर से बोली-तुम क्यों लड़ाई करने पर उतारू हो रहे हो जी, अपनी राह क्यों नहीं जाते? यहां कोई तमासा है? हमारा आपस का झगड़ा है। कभी वह मुझे मारता है, कभी मैं उसे डांटती हूं। तुमसे मतलब?

गोबर यह धिक्कार पाकर चलता बना। दिल में कहा-यह औरत मार खाने ही लायक है।

गोबर आगे निकल गया, तो युवती ने पति को डांटा-तुम सबसे लड़ने क्यों लगते हो? उसने कौन-सी बुरी बात कही थी कि तुम्हें चोट लोग गई। बुरा काम करोगे, तो दुनिया बुरा कहेगी ही, मगर है किसी भले घर का और अपनी बिरादरी का ही जान पड़ता है। क्यों उसे अपनी बहन के लिए नहीं ठीक कर लेते?

पति ने संदेह के स्वर में कहा-क्या अब तक कुवांरा बैठा होगा?

'तो पूछ ही क्यों न लो?'

पुरुष ने दस कदम दौड़कर गोबर को आवाज दी और हाथ से ठहर जाने का इशारा किया। गोबर ने समझा, शायद फिर इसके सिर भूत सवार हुआ, तभी ललकार रहा है। मार खाए बगैर बिना न मानेगा। अपने गांव में कुत्ता भी शेर हो जाता है, लेकिन आने दो।

लेकिन उसके मुख पर समर की ललकार न थी, मैत्री का निमंत्रण था। उसने गांव और नाम और जात पूछी। गोबर ने ठीक-ठीक बता दिया। उस पुरुष का नाम कोदई था।

कोदई ने मुस्कराकर कहा-हम दोनों में लड़ाई होते-होते बची। तुम चले आए, तो मैंने सोचा, तुमने ठीक ही कहा। मैं हक-नाहक तुमसे तन बैठा। कुछ खेती-बारी घर में होती है न?

गोबर ने बताया-उसके मौरूसी पांच बीघे खेत हैं और एक हल की खेती होती है।