पृष्ठ:गोदान.pdf/१४६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।
146 : प्रेमचंद रचनावली-6
 


भोला बैलों के सामने से न हटा। खड़ा रहा गुमसुम, मानो मरकर ही हटेगा। पटवारी से दलील करके वह कैसे पेश पाता?

दातादीन ने एक कदम आगे बढ़ाकर अपनी झुकी कमर को सीधा करके ललकारा-तुम सब खड़े ताकते क्या हो, मार के भगा दो इसको। हमारे गांव से बैल खोल ले जायगा।

बंशी बलिष्ठ युवक था। उसने भोला को जोर से धक्का दिया। भोला संभल न सका, गिर पड़ा। उठना चाहता था कि बंशी ने फिर एक घूंसा दिया।

होरी दौड़ता हुआ आ रहा था। भोला ने उसकी ओर दस कदम बढ़कर पूछा-ईमान से कहना होरी महतो, मैंने बैल जबरदस्ती खोल लिए?

दातादीन ने इसका भावार्थ किया-यह कहते हैं कि होरी ने अपने खुशी से बैल मुझे दे दिए। हमीं को उल्लू बनाते हैं।

होरी ने सकुचाते हुए कहा-यह मुझसे कहने लगे या तो झुनिया को घर से निकाल दो या मेरे रुपये दो, नहीं तो मैं बैल खोल ले जाऊंगा। मैंने कहा, मैं बहू को तो न निकालूंगा, न मेरे पास रुपये हैं, अगर तुम्हारा धरम कहे, तो बैल खोल लो। बस, मैंने इनके धरम पर छोड़ दिया और इन्होंने बैल खोल लिए।

पटेश्वरी ने मुंह लटकाकर कहा-जब तुमने धरम पर छोड़ दिया, तब काहे की जबरदस्ती। उसके धरम ने कहा, लिए जाता है। जा भैया बैल तुम्हारे हैं।

दातादीन ने समर्थन किया-हां, जब धरम की बात आ गई, तो कोई क्या कहें। सब के सब होरी को तिरस्कार की आंखों से देखते परास्त होकर लौट पड़े और विजयी भोला शान से गर्दन उठाए बैलों को ले चला।


पंद्रह

मालती बाहर से तितली है, भीतर से मधुमक्खी। उसके जीवन में हंसी ही हंसी नहीं है, केवल गुड़ खाकर कौन जी सकता है और जिए भी तो वह कोई सुखी जीवन न होगा। वह हंसती है, इसलिए कि उसे इसके भी दाम मिलते हैं। उसका चहकना और चमकना, इसलिए नहीं है कि वह चहकने को ही जीवन समझती हैं, या उसने निजत्व को अपनी आंखों में इतना बढ़ा लिया है कि जो कुछ करे, अपने ही लिए करे। नहीं, वह इसलिए चहकती है और विनोद करती है कि इससे उसके कर्तव्य का भार कुछ हल्का हो जाता है। उसके बाप उन विचित्र जीवों में थे, जो केवल जबान की मदद से लाखों के वारे-न्यारे करते थे। बड़े-बड़े जमींदारों और रईसों को जायदादें बिकवाना, उन्हें कर्ज दिलाना या उनके मुआमलों का अफसरों से मिलकर तय करा देना, यह उनका व्यवसाय था। दूसरे शब्दों में दलाल थे। इस वर्ग के लोग बड़े प्रतिभावान होते हैं। जिस काम में कुछ मिलने की आशा हो, वह उठा लेंगे और किसी न किसी तरह उसे निभा भी देंगे। किसी राजा की शादी किसी राजकुमारी से ठीक करवा दी और दम-बीस हजार उसी में मार लिए। यही दलाल जब छोटे-छोटे सौदे करते हैं, तो टाउट कहे जाते हैं, और हम उनसे घृणा करते हैं। बड़े-बड़े काम करके वही