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मंगलसूत्र : 357
 

-उन्हें तो मैं समझा चुका।

तां जाकर शांत बैटिए । मैं अपने हकों के लिए लड़ना जानता हूं। अगर उन लांगों के दिमाग में कानून की गर्मी का असर हो गया है तो उसकी दवा मेर पास है।


अब देवकुमार की साहित्यिक नम्रता भी अविचलित न रह सकी। का गम लड!इ स्वीकार करते हुए बोले-मगर आपको मालूम होना चाहिर वह मिल्कियत आज दो लाख से कम की नहीं है।

-दो लाख नहीं, दस लाख की हां, आपसे सराकार नहीं।

-आपने मझा बीस ह जार ही ना दिये थे।

अपको इतना कानून तो मालूम ही हागा, हालांकि कभी अप अदालत में नहीं गए कि जो ची बिक जाती है वह कानूनन किसी दरम पर भी वापस नहीं की जाती। अगर इस नये कायदे को मान लिया जाय तो इस शहर में महाजन न नजर ।

कुछ देर तक सवालजवाब होता रहा और लड़ने वाले भों की तरह दोनों भले आदमी गर्राते, दांत निकालनेबौखियाते रहे। आखिर दोनों लड़ ही गए

गिरधर दास ने प्रचंड होकर कहा- मुझे आपसे एसा आशा नहीं थी।

देवकुमार ने भी ट्टिी उठाकर कहा- मुझे भी न मालूम था कि आपके स्वार्थ का पंट

-आप अपना सर्वनाश करने जा रहे हैं ।

-कुछ परवाह नह!!

देवकुमार वहां से चले तो मय कम उन्न अधरी गत की निर्देश ठंड में भी उन्हें पसीना हा हा थ71 विजय का ऐसा गवं अपने जीवन में उन सभी न हुआ था। उन्होंने तर्क में तो बहुतों पर विजय पाई थी। यह विजय श्री जीवन में एक नई प्रेरणा, हुक नई शक्ति का उदय।

उसी रात को सिन्हा और सन्तकुमार ने एक बार फिर देवकुमार पर जोर डालनेका निश्चय किया। दोनों आकर खड़े ही थे कि देवकुमार ने प्रोत्साहन भरे हुए भव से कहा-तुम लोगों ने अभी तक मुआमला दायर नहा कियानाइक ‘कर रहे है।

सन्नकुमार के सूखे हुए निराश मन में अन्ना की आधी सा अर्थ गई। क्या सचमुच कहीं ईश्वर है जिस पर उसे कभी विश्वास नहीं आ जरूर कोई देवी शक्ति है। भांख मांगने आए थे, वरदान मिल गया।

बोला -आप ही की अनुमति का इंतजार था।

में बड़ी खुशी से अनुमति देता हूं। मेरे आशीर्वेद तुम्हारे साथ हैं।

उन्होंने गिरधर दास से जो बातें हुई वह कह सुनाई।

सिन्हा ने नाक फुलाकर कहा- जब आपकी दुआ है तो हमारी फतह है। उन्हें अपने धन का घमंड होगा, मगर यहां भी कच्चो गोलियां नहीं खेली हैं।

सन्तकुमार ऐसा खुश था गोया आधी मंजर तय हो गईबोला-आपरे व उचित जवाब दिया

सिन्हा ने तनी हुई ढोलकी-सी आवाज में वोट मा- ऐसेऐसे सेठों को उगलियों पर नचाते हैं यहां।

सन्तकुमार स्वप्न देखने लगे-यही हम दोनों के बंगले बनेंगे दोस्त।