अंतिम बीमारी
बड़े शौक से सुन रहा था ज़माना तुम्हीं सो गए दास्तां कहते कहते।
गोरखपुर से प्रेमचंद का निवास स्थान जहां उन्होंने अनेक
साहित्यिक कृतियों का सृजन किया।