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70 : प्रेमचंद रचनावली-6
 


अमारा सकल देखकर भागता है। अमारा अपना कांसल है, आम उसको खत लिखकर लाट साहब के पास जा सकता है। अम यां से किसी को नई जाने देगा। तुम अमारा एक हजार रुपया लूट लिया। अमारा रुपया नई देगा, तो अम किसी को जिन्दा नई छोड़ेगा। तुम सब आदमी दूसरों के माल को लूट करता है और यां माशूक के साथ शराब पीता है।

मिस मालती उसकी आंख बचाकर कमरे से निकलने लगीं कि वह बाज की तरह टूटकर उनके सामने आ खड़ा हुआ और बोला-तुम इन बदमाशों से अमारा माल दिलवाए, नई अम तुमको उठा ले जायगा,अपनी कोठी में जश्न मनाएगा। तुम्हारा हुस्न पर अम आशिक हो गया। या तो अमको एक हजार अबी-अबी दे दे या तुमको अमारे साथ चलना पड़ेगा। तुमको अम नई छोड़ेगा। अम तुम्हारा आशिक हो गया है। अमारा दिल और जिगर फटा जाता है। अमारा इस जगह पचीस जवान है। इस जिला में हमारा पांच सौ जवान काम करता है। अम अपने कबीले का खान है। अमारे कबीला में दस हजार सिपाही हैं। अम काबुल के अमीर से लड़ सकता है। अंग्रेज सरकार अमको बीस हजार सालाना खिराज देता है। अगर तुम हमारा रुपया नई देगा, तो अम गांव लूट लेगा और तुम्हारा माशूक को उठा ले जायगा। खून करने में अमको लुतफ आता है। अम खून का दरिया बहा देगा।

मजलिस पर आतंक छा गया। मिस मालती अपना चहकना भूल गईं। खन्ना की पिंडलिया कांप रही थीं। बेचारे चोट-चपेट के भय से एक-मजले बंगले में रहते थे। जीने पर चढ़ना उनके लिए सूली पर चढ़ने से कम न था। गरमी में भी डर के मारे कमरे में सोते थे। रायसाहब को ठकुराई का अभिमान था। वह अपने ही गाव में एक पठान से डर जाना हास्यास्पद समझते थे, लेकिन उसकी बंदूक को क्या करते? उन्होंने जरा भी चीं-चपड़ किया और इसने बदूक चलाई। हूश तो होते ही हैं यह सब, और निशाना भी इस सबों का कितना अचूक होता है, अगर उसके हाथ में बंदूक न होती, तो रायसाहब उससे सीग मिलाने को भी तैयार हो जाते। मुश्किल यहो थी कि दुष्ट किसी को बाहर नहीं जाने देता। नहीं, दम-के-दम में सारा गांव जमा हो जाता और इसके पूरे जत्थे को पीट-पाटकर रख देता।

आखिर उन्होंने दिल मजबूत किया और जान पर खेलकर बोले-हमने आपसे कह दिया कि हम चोर-डाकू नहीं हैं। मैं यहां की कौंसिल का मेंबर हूं और यह देवीजी लखनऊ की सुप्रसिद्ध डाक्टर हैं। यहां सभी शरीफ और इज्जतदार लोग जमा हैं। हमें बिल्कुल खबर नही आपके आदमियों को किसने लूटा? आप जाकर थाने में रपट कीजिए।

खान ने जमीन पर पैर पटके, पैंतरे बदले और बंदूक को कर्ज से उतारकर हाथ में लेता हुआ दहाड़-मत बक-बक करो। काउंसिल का मेंबर को अम इस तरह पैरों से कुचल देता है ( जमीन पर पांव रगड़ता है) अमारा हाथ मजबूत है, अमारा दिल मजबूत है, अम खुदाताला के सिवा और किसी से नई डरता। तुम अमारा रुपया नहीं देगा, तो अम (रायसाहब की तरफ इशारा कर) अभी तुमको कतल कर देगा।

अपनी तरफ बंदूक की दोनाली देखकर रायसाहब झुककर मेज के बराबर आ गए। अजीब मुसीबत में जान फंसी थी। शैतान बरबस कहे जाता है, तुमने हमारे रुपये लूट लिए। न कुछ सुनता है, न कुछ समझता है, न किसी को बाहर आने-जाने देता है। नौकर-चाकर, सिपाही-प्यादे, सब धनुष-यज्ञ देखने में मग्न थे जमींदारों के नौकर यों भी आलसी और कामचोर होते हैं, जब तक दस दफे ने पुकारा जाता, बोलते ही नहीं, और इस वक्त तो वे एक शुभ