पृष्ठ:गोरख-बानी.djvu/१२१

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हट [गोरख-बानी चाल्योरे' पांचौ भाइनार तेणें बन जाइला', जहाँ दुप सुप नांव न जानिये ॥ टेक ॥ पेती करों५ तौ मेह विन सूकै । बनिज करौं" तोपूंजी तूटै ॥१॥ अस्त्री करौं" तो घर भङ्गहना । मिंत्र करौं५ तौ बिसहर भैला ।। जुद पेलों तो बैठडी हारौं । चोरी करौं'२तो यंहदी भारौं'२ ॥३॥ पन पंढ जांऊं तो विरछ न फलना। नगरी में जाऊतो भिध्या न मिलना॥४ योल्या गोरपनाथ मचिंद्र का पूता । छोदिनै माया भया अवधूता ।। || गुरदेव त्यभर देव सरीर भीतरिये । आत्मां निम२ देव ताही की न जाणों23 सेव । प्रांन देव पूजि पूजि इमही२४ मरिये२५ ॥ टेक ।। न द्वारे नवे नाथ, तृवेणी २ जगन्नाथ२८, दसवें२९ द्वारि केदारं ।। १।। है पांचों भाइयों ! (दियों) चलो उस पन को जाय जो सुग्न दुःम्म का नाम नहीं जाता। (यहाँ तो सय मुग दुम्म में परिणत हो जाते है।) विसहर=पिग्घर, सौर। शामा मयोंचम देवता है । यदी गुर, नही परताय शिव है। यह शरीर भीगर । टमकी मेवानी नहीं, अन्य देवताओं को पूज-पूजकर सप को मरत हो । नय द्वारों 'इन्द्रियों क. गौरंध्र) में नया हाथ है । प्रियशी में समाय (पोवाधिक और, दशम द्वार (हार) में ?.() 11 () 92T ?.() fait ala 917 ४. (R) ना! ) मा ६.(") बिगा। ७. (, अगत्री। ८. (हापा। ६. (1) भाव। १०. () या पल ११. (५) siä??.() fit T1 ??.(5) ic १४. (१) गृह। ': (C) १८. (") ना। ... (M) ।.... ) मीर: २२. (१) माला २३. ()२८.(८) मी नती ; (१) में 'aris २१. (मीर। २. ) नरद्वार न ! २७. (1) नमन। २८. (क) are not ?..(*) 7. j P.