पृष्ठ:गोरख-बानी.djvu/३०७

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- . स६ . . २६० [ गोरख-बानी इम तौ=इसी प्रकार । प ४ कंद =स्कंध, शरीर । स ९५, १२३ उंद्र=चूहा । प्रा ११ कछोटा-छोटी धीती, कोपीन | सिर उजहदारं वजीर । प २७ कठंजरा-कास्टपंजर । प २७ उछेदै =उखाड़ फेंकता है। स २०५ कतवारी=कूदाकवाद वाल | स २६१ उजेबा=भवके से उठाकर चुमाना । कतेबे-किताब में । कतेक वे गंश है सिद पृ० १६१ जिनके आधार पर धर्म चलते हैं। उडियाणी उड्डीयान बंध । सिद पृ० १६०; ऊँची उबान । प १५ करड़ा=कठोर, कर्रा । स २०५ उतराधी उत्तराखंड पावा, ब्रह्म- करवैः =करक में कहुवे में । स १२२ रंध्रस्थ अथवा समाधिस्थ । स ४१ कलमा=मुसलमान धर्म का मूलमंत्र- उती= उधर । स ६८ ला इलाहेलिल्लाह मुहम्मदरसूलिवलाह उदबुदिः उद्बुद्ध, ज्ञान में नागरित स।११ प६२ कांइक्यों । ५ २२ उदिक= उदक, बिंदु, शुक्र । स २६०, • काउरू=कांवर, बहँगी । प ४० उनसनिः =उन्सनावस्था । स५१,५२, कापड़ीगंगोत्तरी से कांवर पर जब ५५, ६४, ८० प ६, १६, सिद पृ० लेकर चखने याले यात्री । स ९६ १५६% पंद्र कीधा=किया । प १६ उरधंत, उरध= ऊपर का स ३५,८१ ‘कुचीया चित, सिपटा हुमा । उरवारं-घरे, इस पार । स १०४ स २३३ उलीचौर =बाहर फेको । प २२ कुलती एक प्रकार की मोटी दाम। स २३२ •ऊमड़-उबड़ खाबड़। ५५७ उबरै उद्धार पावै। प २२ कूले हे, नितम् । स १०६ ऊमा उठा हुमा; खपा । स ६६, केवट्या = उतारी । प २८ कोटणी कोदनी । प्रा १ ऊरमप्रात्मकनाओं में से एक। स कोडिकोटि, करोड । स १२९ १६६ 'कोरड़-कोरा । स २११ ऊरा-अधूरा । स १६० कोवत=कूधत, शक्ति । स २६५ एकंकार=एकाकार, केवल ।स ११० कौतिग=कौतुक, तमाशा । प २५ एयें इस प्रकार । प १६ •पड़ पड़ = चरवी के बोझ से मुक्त, 'एद्वा%इस प्रकार । प३ नीरोग, हलका । स १०६ ओजुत शरीर । स २३२ षड़ासण=लाठी के साथ पोदे का ओलै=ोट में | स १७२ संयोग, जिससे सड़े खड़े बैठने के औत्राट :-उच्चाटन। समान विभाम मिल जाय | स ४८; 2