पृष्ठ:गोरख-बानी.djvu/३०८

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शन्द-संग्रह २६१ । 5 . गोपंत-गुस करना । स २४ परतरतीक्षय । स १३०, २२० गोटा-टिकिया । प२४ पतंत-स्खलित । सिपु पृ० २३६ गोड़-पांव । प ४३ पांडतड़ी-प्रोसती 10 गोटिका-गुटिका । प ३६ पांडी-संहित की, नए को। प १६ - गोढ़-मोठ, गोमान! प २६ पाणी चारखानियां (पोनियां) स ४ गोतंगोत्र कुल । स २२७ पासा पासासो सरह पाश में घट घट दशा । स १३७ मंधे हुए । स २४६ घड़ी-गढ़ी हुई। स ९ पिरैक्षरित अथवा नष्ट होता है। • घड़ियाल घड़ीवाला, पहरेदार प२७ पिसैलिसकता है, जिरता है । प ५ चपंत्ति-दव जाते हैं । स १८५ •षीषा-शिष्य ( स .५० बका-चाबुक प १४ पीजै: =पकता है। स १५६ चहोड़ना=चित, पट, अगल, बगल पीर-मृत । बा १६, सप्तु ६ पीटना । स२११ पुष्या-सुधा, भूख से ३० •चाएक-चालाकी । स १४९ • पुर साणशान में चदा धुरा । स ६१ चापि दयाकर । स २५५ पुटी नर ७४ चिगा-चुमाई जाती है। प २८ पूटैः नट होती है। स १८७५ ३१ चिनति-चिन्हों से पहचानते है । पौषैः एक खोखा को पा १२ पोलै कोरे, कोर में। प २ चीव-चिन । स७ गगन सिपर -आकाश मंगलास १ चीया-चित्र । स २ गम-यम्प, बगवास १६ 'चीरा-पत्थर । प्रा ६ गरयः =धन को।५५ चौतार-चौपाया, प। स ६२ गहिलाप्रति, व्याधि आदि किसी च्यतासन-चेतावनी ! प ३ दामा प्रलाप ३४ छवंदस्वज्दंड । सिद पृ. १६१ गाठिया-प्रयित करना चाहिए। सिद • छवीस-क्षितीश, राना । न ६ गावड़ी गाय । प३४ छोटे भलग से । प२ • पिलिया प्रस्त किया।प१८ लीबंतः नष्ट होती है। स ३९ गदगद । स ७६ छेत-रसिया, विषयास जीव । गुरवनी-गुरुधानी 16 १७३ गुहल्य-गुध, गुरुमा छाई -राद में मिलान दना मा गैस समान में। १९ पार्ना, प्रसंग से निरसार वस्तु । ५२ गोई गुसाम११ जरना, जरा-वीय गोर ४६ . . .