पृष्ठ:गोरख-बानी.djvu/३१७

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२६६ गोरखबानी . . 5 सुनिः . रेत रेतस् , शुक्र । स ८१ किया। प६ रोलॉगीराबलिग, जोगिन । आ १९ सांसा संशय । ग्या ४० लड़बड़ाढीले डाले। स १५२ सालिम =संपूर्ण । ग्या ३४ चोछा= ओछा, छोटा । स २५५ सिभूशम्भु । ग्या ३३ संमी=समक्ष, सामने । प३ सीया=सीने (सिलने) में । प १९ संवारी=रोक देता है । ग्या ३४

  • सिचानें =बाज पक्षी ने । प २०

“ससा-संशय । ग्या २४ • सींगमि =शिंजिनिया, प्रत्यचाएं। सती =सत पर स्थिर । स २० शाङ्ग धनुष अर्थ भी संभव है। स १२७ सथीर स्थैर्य । स २३१ सीझत=सिद्ध होता है। स १२६ 'समधाओ=ठीक करो अच्छी तरह सीला=शील वृत्ति स २३९ व्यवहार में लायो। प ३१ सीव=शिव, ब्रह्म । स २२७ समांण =मसान, शव । प २१ -शून्य । प १५ समाई =समाने का भाव । स २५६ सुकर शूकर, सुअर । स २४० सरवटा= जिसके सिर के बाल बटे सुधि बुधि=शुद्ध बुद्धि । स ६५, ६६ हों। स २१८ सुन्यं शून्य, ब्रह्मरंध्र, अभाव । स १ • सलइसरल | स २५१ सुरहट=ऊंचा। प १५ सपुन= उक्ति । स १३८ सुरही=सुरभि, गाय । स १८८ ससंवेदस्वसंवेद्य । स २२ • सु-संज्ञा=संशय । ग्या २४ सहजै सहज, स्वाभाविक रूप से। सुसा, सुसिलौ=शया, खरहा, सूक्ष्म माया। प२० सहिनांडी = संधान, खोज, पहचान । सुसुपाल=शिशुपाल, (काल)। स ७४ स ११३ सूरिवाँ सूरमा, शूर वीर | स ११४ सहेता (संहती)=सहित, से । संवार =सपाट मैदान । प ४० स८०, २५ सल=शरुम, बरछा । प ४२ साइर=सौरम । प १८ सांसाः सोखा । ग्या २ सांडी=सादी, मनाई । प ४२ हंसगोतः =श्रात्म गोत्री। प ३२ सांतीड़ा-सीता,सेंता, बिगदैन बैलों - हंडसमस्त । स २११ को नायन का रस्सा | प३१ हंस धात=प्राणी का वध | स २२७ सांधी =संधान को लक्ष्य साधा । ' हियाली हृदय में । प २६ स२०७ हुजदारं = फौजदार,सेनापति । प २७ सांविन मायरा सारा नहीं। हेला-उपेक्षा । स १०३ कुटे चावलों को मुझे अलग नहीं हलठपेक्षा से (में)। स १२१ स २७ , 1