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गोरा

गोरा [ १०७ कुछ देर में दोनों सो गये । आनन्दमयी धीरे-धीरे कमरेसे बाहर चली गई। सीढ़ी परसे उतरते समय देखा कि महिम ऊपर आ रहे हैं। आनन्दमयीने कहा-अभी लौटो, कल वे दोनों सारी रात जागते रहे हैं। मैं अमी उन्हें सुलाकर चली आ रही हूँ। महिम-बाह ! इसी का नाम मित्रता है। ब्याह की बात कुछ चली थी, जानती हो ? प्रानन्दमयी- नहीं जानती। महिम-मालूम होता है कुछ टीक हो गया है। कब नींद टूटेगी ? शीघ्र व्याह न होने से अनेक विघ्न उपस्थित होंगे। आनन्दमयी ने हंसकर कहा उन दोनोंको भली भाँति सोने दो। विन न होगा। आज दिन में ही नींद टूटेगी। - IN