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गोरा [ ११५ उसी दिन जाने के समय हारान बाबूने परेश बाबू के आगे विवाहका प्रस्ताव किया। उन्होंने कहा कि इस सम्बन्धमें विलम्ब करने की मेरी बिलकुल इच्छा नहीं है। परेश बाबूको कुछ आश्चर्य हुआ। उन्होंने कहा लेकिन आपकी राम यह जो है कि अठारह वर्षसे कम अवस्था में लड़कियोंका ब्याह होना अन्याय है ! आपने किसी पत्र में लेख भी तो इसी विषय पर लिखकर छपाया था। हारान ने कहा-मगर सुचरिता के सम्बन्धमें यह नियम लागू न, होना चाहिए । कारण, इसी अवस्था में उसके मन की ऐसी स्थिति हो गई है कि अनेक बड़ी उमर की लड़कियों में भी बह बात नहीं देख पड़ती। परेश वाचूने प्रशान्त दृढ़ताके साथ कहा-यह बात भले ही हो पानू बाबू, मगर मेरी समझ में जब अभी ब्याह न होने में कोई अहितका कारण नहीं देखा जाता, तब आपके-सिद्धान्तके अनुसार सुचरिताको विवाह के योग्य अवस्था हो जाने तक ठहरना ही हमारा कर्तव्य है। हारान बाबूने अपनी मानसिक दुर्वलता प्रकट हो जानेसे लज्जित हो कर कहा-निश्चय ही कर्तव्य है। मेरी इच्छा केवल यही है कि एक दिन सब मण्डलीको बुला कर ईश्वरका नाम लेकर सम्बन्ध पक्का कर डाला जाय। परेश बाबूने कहा- हाँ, यह तो बहुत अच्छा प्रस्ताव है।