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गोरा

११८] गोरा गोरा---इस मूर्खताकी बातको अपनेको इसके बाहर समझ कर तुम शान्ति लाभ न करो। यह मूर्खता कितनी बड़ी है और इसकी सजा क्या है, इसे यदि तुम स्पष्ट रूपसे देख सकते तो इसे एक मामूली सी बात समझ कर इसको अपने पास से अलग कर डालने की चेष्टा न करते। मनकी उत्तेजनाके साथ गोरा की गति धीरे धीरे बढ़ने लगी । विनय उसकी बातका कोई उत्तर न देकर उसके साथ तेजी से चलने लगा। गोरा कुछ देर चुपचाप चलकर सहसा बोला-नहीं, यह न होगा कि मै इस विषय को सहज ही सह लूँ। यह जो भूतका अोझा अाकर. मेरे नन्दको नार गया है, उसकी सख्त जोट मेरे कलेजे में लगी है- मेरे सारे देशको लगी है । मैं इन कामों को साधारण समझकर छोड़ नहीं सकता । इससे देशका विशेष अनिष्ट होने की सम्भावना है । विनय. इस पर भी जब कुछ न बोला तब गोराने गरजकर कहा- विनय, तुम जो मनमें सोच रहे हो वह मैं अच्छी तरह समझ गया हूं। तुम सोच रहे हो इसका प्रतिकार नहीं है, या इसके प्रतिकार का समय आने में अभी बहुत विलम्ब है। किन्तु मैं ऐसा नहीं सोचता । यदि सोचता तो मैं जी न सकता । जो कुछ मेरे देश पर दुख पड़ रहा है उसका प्रतिकार अवश्य है, चाहे वह कितना ही कठिन या प्रबल क्यों न हो । और एक मात्र हमी लोगों के हाथ में उसका प्रतिकार है यह भावना मेरे मन में खूब दृढ़ है। इसी कारण मैं चारों ओरके इतने दुःख, दुर्गति और अपमानको सहन कर रहा हूं। विनय-इतनी बड़ी देश-व्यापिनी दुर्गतिके आगे विश्वासको खड़ा रख सकने के लिए मेरा साहस नहीं होता। गोरा-दुर्गति या दुःख वराबर रह सके इसे मैं किसी तरह नहीं मान सकता-सारे संसार की ज्ञान-शक्ति और प्राण-शक्ति उसे भीतर या बाहर से केवल आघात पहुँचा रही है । विनय, मैं तुमसे बरावरं कहता आता हूँ कि मेरा देश मुक्त होगा ही इस बातको तुम कभी स्वप्न में भी असम्भव न समझो। इस पर दृढ़ विश्वास रख कर ही ।