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गोरा

गोरा [११६ हमें सदा सावधान रहना होगा। भारतवर्ष स्वाधीन होने के लिए भविष्य में किसी दिन लड़ाई करेगा इसी पर निर्भर होकर तुम निश्चिन्त बैठे हो । मैं कहता हूं, लड़ाई प्रारम्भ हो गई है, पल पल पर उद्योग चल रहा है। इस समय यदि तुम हाथ पर हाथ रखकर बैठे रहो तो इससे बढ़कर कायरता और हो ही क्या सकती है ? विनय-देखो गोरा तुमसे मेरा एक मतभेद है । मैं यह देखता हूँ कि हमारे देशमें जहाँ तहाँ जो काम बराबर हो रहा है और जो बहुत दिनोंसे होता आया है उसे तुम रोज रोज नई दृष्टिसे देख रहे हो। हम अपने श्वास-प्रश्वास-को जिस तरह भूले हुए हैं वैसे ही इन सबों को भी। इनसे हम न किसी तरहकी आशा करते हैं और न निराशा ही। इनसे न हमको सुख है न दुःख । समय बड़ी उदासीनता के साथ बीता जा रहा है। चारों ओरके घेरेमें पड़कर हम न अपनी ही बात सोच सकते हैं और न अपने देशकी ही। एकाएक गोरा का मुँह लाल हो गया, मस्तक की नस तन गई। वह बड़ी तेजी से एक गाड़ी वाले के पीछे अपनी तेज आवाज से सड़कके लोगोंको चकित करके बोला-गाडीको रोकों एक मोटा बाबू घड़ी चेन लगाये गाड़ी हाँकता जा रहा था। उसने एक बार पीछे फिर कर देखा । एक आदमीको दौड़ते हुए आते देख वह दोनों तेज घोड़ोंकों चाबुक मारकर पल भरमें गायब हो गया । एक बूढा मुसलमान सिर पर एक टोकरीमैं फल तरकारी, अण्डा- रोटी और मक्खन आदि खाद्य-सामग्री लिये जा रहा था। चेन चश्माधारी बाबूने उसको गाड़ीके सामनेसे हट जाने के लिये जोरसे पुकार कर कहा था । उसको वृद्धने न सुना, गाड़ी उसके ऊपरसे निकल जाती, परन्तु एक श्रादमीने झट उसका हाथ पकड़कर अपनी ओर खींच लिया। इस तरह उसके प्राण तो बच गये। पर टोकरी उसके सिर परसे गिर पड़ी और उसमें की सभी चीजें इधर-उधर लुढ़क गई । बाबूने क्रुद्ध होकर कोचवक्स घूम उसे डैम सुअर कहकर गाली दी और तड़से उसके मुंह पर एक