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गोरा

१२२ ] गोरा चाहिए ! ऊँची शिक्षा और कट्टर हिन्दूपन इन दोनों के मिलने से पदार्थ तैयार होता है, वह हमारे हिन्दू मतके अनुसार टीक शास्त्रीय न होगा, किन्तु बुरा भी नहीं । अगर तुम्हारी लड़की होती तो इस बारेमें मेरे साथ तुम्हारा मत विलकुल ठीक मिल जाता इसमें सन्देह नहीं । गोराने कहा-सो अच्छा तो है-जान पड़ता है इसमें विनयको भी कुछ उजर न होना। महिम–लो सुनो ! विनयको आपत्तिके लिए किसे चिन्ता है ! मैं तो तुम्हारी ही 'नाहीं-नहीं' को डरता हूं ! तुम एक बार अपने मुँहसे विनयसे इसके लिए अनुरोध करो; बस मैं और कुछ नहीं चाहता। उससे अगर कुछ फल न होगा तो फिर मैं नहीं कहूंगा । गोराने कहा-अच्छा। महिमने मन ही मन कहा—अब क्या है, मार लिया ! हलवाईके यहाँ मिठाईके लिए और अहीरके यहाँ दही दूधके लिए बयाना दे सकता हूँ। गोराने मौका पाकर विनयसे कहा-शशिमुली के साथ तुम्हारे ब्याह के लिए दादाने बहुत जोर डालना शुरू किया है। अब क्या कहते हो ? विनय--पहले तुम बताओ, तुम्हारी इच्छा क्या है ? गोरा--मैं तो कहता हूँ, बुरा क्या है ! बिनय पहले तो बुरा ही कहते थे ! हम दोनों वाह न करेंगे, इतना तो एक तरह से ठीक ही हो गया था। गोरा-लेकिन अब यह तय हुआ कि तुब ब्याह करो, और मैं न करूँ। विनय -क्यों, एक स्थानकी यात्रा में दो रातें या दो फल क्यों । गोरा--दो रातें या दो फल होने के भयसे ही तो यह व्यवस्था की जाती है। विधाता किसी किसी आदमीका सहजही अधिक भार प्रस्त करके गढ़ा करते है, और कोई कोई सहज ही भार हीन होते हैं । उक्त दोनों प्रकारके जीवों को एक साथ मिलकर चलाना हो, तो एकके ऊपर बाहरसे बोझ डोलकर दोनों का वजन बराबर कर लेना होता है। तुम