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गोरा [ १६५ अप कमी जवान पर भी नहीं लाऊंगा कि हम लोग वो जातिका अत्यन्त आदर करते हैं, उन्हें लक्ष्मी ( गृहलक्ष्मी) या देवी मानते हैं ! देशकी स्त्रियां देशकी कितनी बड़ी शक्ति हैं, यह मैं पहले कभी अच्छी तरह समझ नहीं सका—कभी इस विषय पर विचार भी नहीं किया। इतना कहकर विना विलम्ब के विनय चल दिया। उस समय उसका चित्त उत्साहसे पूर्ण हो रहा था । आनन्दमयीने महिमको बुलाकर कहा-मैया, विनयके साथ हमारी शिमुखीका ज्याह नहीं होगा। महिम----क्या ? क्या तुम्हारी राय नहीं है ? आनन्द... यह सम्बन्ध अन्त तक नहीं टिक सकता, इसीम मेरी राय नहीं है। नहीं तो मैं क्यों न राय देती ? महिम-गोरा राजी हो गया है विनय भी राजी है फिर क्यों नहीं टिकेगा ? हां, यह मैं अवश्य जानता हूं कि अगर तुम राय न दोगी, तो विनय कमी व्याह नहीं करेगा। अानन्द-देखो, मैं विनय को तुम्हारी अपेक्षा अधिक और अच्छी तरह जानती हूँ | जितना मैं जानती हूं, उतना गोरा भी नहीं जानता। इसी कारण सब बातों पर गौर करके मैं इस ब्याह में राय नहीं दे सकती। महिन-अच्छा, देखा जायमा-गोराको लौट आने दो। श्रानन्द०-महिम, मेरी बात सुनो। इस ब्वाह के लिए अगर अधिक हठ करोगे, या दवाव डालोगे, तो अन्तको अवश्य गड़बड़ होगी । मेरी इच्छा नहीं है कि इस मामले में गोरा विनयसे कुछ कहे । 'अच्छा, देखा जारगा! कहकर, ममि बिगड़ कर वहांसे चल दिया। 1