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गोरा

२१४ ] गोरा कर खबर दी कि गोरा को और अन्यान्य कई छात्रांको पुलिसने गिरफ्तार करके हवालातमें बन्द कर रखा है। गोरा हवालातमें ! यह बकर मुनकर हारान बाबू के सिवा और सभी एकदम चौंक उठे ! विनय उसी दम दौड़कर पहले अपने सहपाठी पूर्वोक्त सातकोड़ी हालदार वकीलके पास गया, और उसे सब समाचार सुनाकर साथ लेकर हवालात में पहुँचा। सातकौड़ीने गौराको ओरसे वकील होकर इसी दम जनानत पर उसको छुड़ानेका प्रस्ताव किंवा । गोराने कहा--ना, मैं वकील भी नहीं कर गा, और मुझे जमानत पर छानेकी सानी न करनी होगी। यह क्या बात है ! सातकौड़ोंने विनयकी और फिर कर कहा-देखते हो ! कौन कहेगा कि गोरा स्कूलने निकल चुका है ! उसकी बुद्धिं टीक उसी नरहको बनी हुई है, जैसे कि स्कूल में पढ़ने के समय थी। गोराने कहा-दैवसंबोगसे मेरे रुपये है, इष्टमित्र हैं, इससे मैं हाबत और हथकड़ीसे छुटकारा पा सकता हूं, किन्तु मैं बह नहीं चाहता ! हुन लोग अपने देशको धर्म ननिके अनुसार यही जानते है कि मुविचार और न्याय करनेकी गरज राजाको होनी चाहिए.-प्रजाके प्रति प्राविचार होनेसे राजा को ही अधर्मका मागी होना पड़ता है। किन्तु इस मुल्तनतमें अगर वकीलकी फीसका प्रबन्ध न कर पाने से प्रजा हवालातमें सड़ती और जेल में मरती है, राजाके सिर पर मौजूद रहते न्याय विचारको रुपए देकर खरीदने में सर्वस्व लाहा कर देना पड़ता है, तो ऐसे विचारके लिए मैं दमड़ी भी खर्च करनेको राजी नहीं हूं। सातकौड़ीने कहा - काजियोंके अमलमें तो घूस देने में ही सिर तक बिक जाता था? गोराने कहा--धूस देना तो राजाका विधान नहीं था। नो काजी बुरा होता था, वह धून लेता था । यह बात इस अमलदारी में भी है। किन्तु इस समय राज-द्वार में विचारके लिए खड़े होते हो बादा-प्रतिवादी दोषी- निदोष, सभी प्रजा को आँसू बहाने ही पड़ेगे । जो पक्ष धनहीन हैं, उसके 1