पृष्ठ:गोरा.pdf/२१९

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अाज छोटे लाकी अचाईके कारण मैजिस्ट्रेट साहबने टीक साढ़े दस बजे अदालतमें आकर सवेरे-सवेरे कचहरीका कान खतम कर डालनेकी कोशिश की। सातकौड़ी बाबूने स्कुलके विद्यार्थियोंका पक्ष लेकर उसी . अलक्षम अश्न नित्र गोराको बचानेकी चेष्टानी ! उन्होंने रङ्ग टङ्ग देखकर समझ लिया था कि अपराध स्वीकार कर लेना ही इस जगह अच्छी चाल है। 'लड़के उपद्रवी हुअा ही करते हैं, वे नालायक पानी इत्यादि है--कह कर उन्होंने लड़कोंके लिए क्षमा-प्रार्थनाकी ! मैजिन्टने लड़झोंको जेल लेना- कर उनकी अवस्था और अपराधकी कमी वमोके अनुसार पाँचने पच्चीस बैंत तक लगानेका हुक्म दे दिया ! गोराका वकील बोई न था । उनने अपना मुंकदना पार चलाया, और उनी उक्लन्न में तीसरे ऋचारो बारेमें मी अत्र ऋहन, किन्तु नैजिल्टने बीचही में तीन विकार करके उसका मुँह बन्द कर दिया, और पुलिसके काममें बाधा देनेके अपराध में उसे एक महीनेकी सख्त सजा दे दी। साथ ही ऐसी हलकी सनाको विशेष दया कहने में भी नहीं चूके। सुधीर और विनय अदालतमें उपस्थित थे : विनय गोगके मुँहकी ओर देख न सका। उसकी जैसे सांस बन्द होने लगी; वह चटपट: अदा- लवके कमरेसे बाहर निकल आया । सुधीरने उससे डाक-बंगलेको लौट जाकर नहाने-खाने के लिए अनुरोध किया, मगर उसने उस पर ध्यान नहीं दिया। मैदानकी राहसे चलते-चलते एक पेड़के नीचे वह बैठ गया; सुधीर से कहा-तुम बङ्गलेको लौट जाओ, मैं भी कुछ देर बाद. आता हूँ। सुधीर चला गया। इस तरह कितना समय वृक्ष के नीचे बैठ बीत गया, इसकी खवर