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गोरा

। गोरा [ २७१ देती थी। उसके कोमल अङ्ग पर जो चोरके दाग थे वह अपनी माँको दिखलाना नहीं चाहती थी। जमाई कभी-कभी अाकर मनोरमाको अपने घर लोटा ले जाने के लिए जिद्द करता था। मेरी बेटी मेरे पास रहनेसे रुपया खींचने में उसे बाधा होती थी। आखिर उस बाधाकानी उसने न नाना । रुपयेक लिए मनोरमाके सामनेही वह मुझे बार-बार दिक करने लगा। मनोरमा मुझे रुपया देने से बरावर रोकती थी कि मैं तुमको किसी तरह रूपया देने न हूँगी ।" किन्तु मैं स्वभावको बड़ी दुवैल थी। जनाई पीछे मेरी लड़की के ऊपर बहुत खका न हो, इस नवसे मैं उसे विना कुछ दिये न रहती थी । मनोरमाने एक दिन कहा-"मां, तुम्हारा रुपया पैसा मैं अपने कब्जे में ही रक्खू गी" और यह कहकर मेरे हायसे कुन्जी और बक्स जी कुछ था सब ले लिया। जमाईने आकर जब मुझमे रुपया पानेकी मुविध न देखी और जब मनारमाको बह किसी तरह राजी न कर सका तब उसने जिद्द पकड़ी कि मैं अपनी स्त्रीको अपने घर ले जाऊंगा : में ननारमा में कहती थी, उसे कुछ रुपया देकर विदा कर दो, नहीं तो न जाने वह क्या कर बैठेगा । किन्तु मेरी मनोरमा एक ओर जमी कोमल थी दूसरी ओर वैसीही कठोर थी। वह कहती थी, नहीं नाया किसी तरह नहीं दिया जायगा । जमाईने एक दिन अाकर अांखे लाल करके कहा-कल मैं पालकी भेज दूंगा, अगर अपनी बेटीको मेरे घर न भेज दोगी तो अच्छा न होगा । मैं पहलेसे ही कहे देता हूं! दूसरे दिन दोपहरको पालकी श्राने पर मैंने मनोरमासे कहा-बंटी, अब देर करना उचित नहीं है, अगले हफ्तेमें किसी को मेजकर तुम्हें बुला लूगी। मनोरमाने कहा-अाज जानेको मेरा जी नहीं चाहता । कुछ दिन के बाद इनसे आनेको कहो, तब मैं जाऊँगी।