पृष्ठ:गोरा.pdf/२८७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
[ २८७
गोरा

गारा २८७ परेश वाचूने कहा- हारान बायुक्त प्रति दुचारतारे ननका भाव क्या है; यह मैं ठीक नहीं जानता इसलिए उन दोनों में त्र नक इस बात का निश्चय न होगा तब तक है इस विश्व में जबरदती कई कान नहीं कर सकता। वरदासुन्दरी ने कहा-उसके मनका नायक-टोक न जानने की बात इतने दिन पछि बापने चौकार को? इस बाइकों के मन की बात समझना बड़ा कठिन कान है। वह बोलना कुछ है और करनी कुब है। उसका बाहर-भीतर एक नहीं। बरदासुन्दरी ने हारान बाबूको बुल्ला भेजा। इसी समय हारानवा कनरेनें प्रवेश करके सुचरिताके पास एक कुरता खींचकर बैठ गये । सुचरिता ने एक बार भी अाँख उठाकर उनकी र न देखा। हारान बाबूने कहा- लगः भान तुन एक विशेः बात कहना है नरी बात पर नरा खान देना होगा।

समय लता ब्राई हरान बाचूने कहा--- ललिना : नुचरिता के साथ मुझे बाज कुछ बातो का विचार करना है। ललिताको वहाँ से जानेका उन करने देव नुचारिता ने न उस्त्रा आँचल पकड़ लिया। हाताने कहा-'हासन वायूको उन्हारे साथ कुछ वात करनी है । नुचरिता उसको कुछ उत्तर न दे ललिताका आँचल जोरसे पकड़े ही रही । तब ललिता सुचरिताके पास ही एक कुरती पर बैट गई। हारान बाबू किसी बाधास दर जानेवाले आदमी न थे उन्होंने कक्षा की भूमिका बाँधना छोड़ एकदम नुचरितास कहा--विवाह में विलम्ब होना मैं अबउचित नहीं समझता । परेश वाबू को मैंने इसकी सूचना दी थी,