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गोरा

गोरा दृष्टान्त से उसका प्रतिकार करेगा, तब उसके उपरान्त हम काम करने के ठीक मैदान को पावेंगे । इस समय हम जो कोई काम करना चाहते हैं; वह केबल इतिहास की स्कूलकी किताब पकड़ कर पराए कामकी नकल हो उठता है । उस झूठे काममें क्या कमी हम सत्व-नव अपने सम्पूर्ण हृदय और मन को लगा सकेंगे उससे तो अपने को केवल हीन बना देंगे। इसी समय एक हुक्का हाथ में लिये महिम बाबू ने नृतमंद गति और आलस भावसे आकर उस कमरे में प्रवेश किया । नित्य आफिससे लौट कर जल-पान का श्रावश्यक काम समाप्त करके एक पान मुंह में दवाकर, पाँच छ: पान बिलहरे में रखकर, सड़क के किनारे बैठकर तमाखू पीना ही महिमका इस समय का काम है । और कुछ देर के बाद ही एक एक करके महल्ले के इष्ट मित्र महिम के पास आकर जुट जायेंगे, तब सदर फाटक के पास की बैठक में एक महफिल सी लग जायगी। महिमके कमरेमें दाखिल होते ही गोरा कुर्सी छोड़कर उठ खड़ा हुआ। महिम तमाखूका धुवाँ खींचत खींचते बोला-~भारत का उद्धार करने में लगे हो मगर फिलहाल पहले भाई का तो उद्धार करो! गोरा महिम के मुंहको और ताकने लगा । महिम ने कहा -हमारे आफिस में जो नया बड़ा साहब ( मैनेजर ) अाया है, उसका चेहरा बिल्कुल शिकारी कुत्ते के ऐसा है । वह बड़ा पाजी हैं ! बाबुओं को बेबून (एक प्रकार का बन्दर) कहता है। किसी के माँ बाप भी मर जायें तो भी वह छुट्टी नहीं देता कहता है, सब झूठ है । किसी महीनेकी पूरी तनख्वाह किसी हिन्दुस्तानी बाबूको नसीब नहीं होती। जरा जरा सी वातके लिये जुर्माना करके लगभग आधी तनख्वाह काट लेता है! अखबारमं उसकी शिकायतकी एक चिट्ठी छपी थी। चिट्ठीमें लेखकका नाम बनावटी था। उस सालेको विश्वास है कि वह मेरा ही काम है। उसका यह खयाल एकदम गलत भी नहीं है। सो अब मैं जो अपने नामसे उसका एक कड़ा प्रतिवाद लिखकर नहीं छपवाऊँगा तो वह मुझे वहाँ टिकने न देगा । तुम दोनों मित्र तो रन हो जो युनिवर्सिटी सागरको मथ