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गोरा

कर निकले हो । एक चिट्टी चुम्हें जरा मन लगाकर अच्छी तरह लिख देनी होगी । उसमें even handed justies, nevur failing generosity king courteousness इत्यादि इत्यादि की खूब भरमार कर देनी होगी। गोरा चुप बैठ रहा । विनय ने हँस कर कहा-दादा इतनी झूटी खाते एक सांस में चला दोगे। महिम ने कहा-सुना नहीं, "शटे शाट्य समाचरेत बहुत दिन उन लोगों की सङ्गति में रहा हूँ; कुछ मुझसे छिपा नहीं है। वे लोग झूठका रंग ऐसा जमा सकते है कि उसके लिए उनकी तारीफ करनी पड़ती है। दरकार होने पर वे भूठ बोलने में नहीं हिचकते। एक अगर झूठ बोले तो समी गोरे सियारोंकी तरह उसी मुरमें हुआ हुआ कर उटते हैं । हम लोगों की तरह एक आदमी दूसरेको भूरा साबित करके वाहवाही लूटना नहीं चाहता। यह निश्चय जानों कि नगर पकड़ लिया न जा सके, तो लोगों को प्रतारित करने में कुछ पाप नहीं है ? इतना कह कर महिम हँसने लगा। विनय से हँसे बिना नहीं रहा गया ! महिम ने कहा—तुम लोग उन लोगों के मुंह पर सच्ची बात कहकर उन्हें अप्रतिम करना चाहते हो ! भगवान् अगर तुम्हें ऐसी बुद्धि न देंगे तो फिर देश की ऐसी दुर्दशा कैसे होगी : तुम लोगों को यह तो समझना चाहिये कि जिसके शरीर का जोर है उसकी चोरी को बहादुरी करके दिखाने की चेष्टा करो तो वह लम्मा से सिर नहीं भूका लेता । वह उलटे अपने संध लगाने के अौधार को उठाकर बड़े भारी साधु ही की तरह हुमक कर मारने दौड़ना है। बोलो सच है कि नहीं ? विनय---सच तो है ही। महिम--उम्की अपेक्षाभूठी बातों को पानी में मुफ्त का जो तेल निक- लता है, वही एक आध छौंक लेकर उसके पैरों में मालिश करके अगर कहें कि "साधु जी परमहंस बाबा दया करके जरा अपनी झोली मार दो उसकी धूल पाकर भी मैं कृतार्थ हो जाऊँगा," तो शायद तुम्हारे घरके,