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गोरा

३५० गोरा ऊपर मैं नहीं ले सकता। परेश बाबू की लड़कियों के सम्बन्धमें यदि आप लोगोंके समाज में किसी प्रकार की आलोचना का उठना सम्भव हो, तो उसमें उन लड़कियों के लिये लज्जाका विषय उतना नहीं है जितना कि आप लोगों के समाजके लिये। हारान० --किसी कुमारीको उसकी माँ का साथ छोड़कर अगर बाहरी मर्दके साथ अकेले एक जहाज पर भ्रमण करने के लिये प्रयत्न किया जाय, तो उस सम्बन्ध में किस समाज को आलोचना करने का अधिकार नहीं है यह मैं आपसे पूछता हूँ। विनय -बाहर की घटनाको भीतरके अपराधके साथ आप लोग मी अगर एक ही आसन दें, तो फिर हिन्दू-समाज को छोड़कर आप लोगोंके ब्राह्म समाजमें आने की क्या जरूरत थी? सो वह चाहे जो हो इन सब बातोंको उठाकर बहस करनेकी कोई जरूरत मैं नहीं देखता । मेरा क्या कर्तव्य है, सो मैं खुद सोचकर ठीक करूँगा। श्राप इस सम्बन्ध में मेरी कुछ सहायता न कर सकेंगे। हारान-मैं आपसे अधिक कुछ नहीं कहना चाहता मेरा अन्तिम वक्तव्य यही है कि आपको इस समय परेश बाबूके परिवारसे दूर रहना. होगा। नहीं तो अत्यन्त अन्याय होगा। आप लोगोंने परेश बाबूके घरके भीतर प्रवेश करके केवल एक अशान्ति पैदा कर दी है। आप लोगों को यह खबर नहीं है कि आपने उन लोगोंका कैसा अनिष्ठ किया है। हारान बाबके चले जाने पर विनयके मनके भीतर एक वेदनाशलकी. सरह चुभने लगी।