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गोरा

४४८] गोरा सतीशने कहा- मौसीसे कहा था । उसने क्रोध करके कहा कि मैं यह कुछ नहीं जानती । अपनी बहनसे जाकर कह, वह जो समझेगी वही होगा । बहन, तुम मुझे रोको मत; मेरे पढ़ने-लिखने में कोई बाधा न होगी । मैं रोज पहूँगा। विनय बाबू मुझे पाठ पढ़ा देंगे। सुचरिता-तुम काम काजके घरमें जाकर अपनी चाल से सबको. हैरान कर दोगे। सतीशने व्यग्र होकर कहा- नहीं बहन मैं ! कोई उपद्रव न करूँगा। इसी समय आनन्दमयी उस घरमें आई । सुचरिता का हृदय प्रफु- ल्लित हो उठा। उसने अानन्दमयीको प्रणाम किया । आनन्दमयी ने सुचरितासे कहा-बेटी, मैं तुम्हारे साथ कुछ सलाह करने आई हूँ | तुम्हें छोड़ और कोई ऐसा नहीं दीखया जिससे कुछ पू। विनयने कहा है "विवाह मेरे ही घरमें होगा” । मैंने कहा; यह कभी न होगा । तुम बड़े नवाब बने हो ? हमारी लड़की योही सीधे तुम्हारे घर जाकर ब्याह कर आवेगी ! यह न होगा। मैंने एक मकान ठीक किया है, वह तुम्हारे इस घरके पास ही है । मैं अभी वहीं से पा रही हूँ। परेश बाबू से कहकर तुम उन्हें राजी कर लेना। सुचरिता-पिताजी राजी हो जायेंगे। आनन्दमयी--इसके बाद • तुमको भी वहाँ जाना होगा। इसी सोमवारको ब्याह है। इसके भीतर ही हमें सब बातों को ठीक करना होगा । समय तो अब अधिक नहीं है। मैं अकेली ही सब काम सँभाल: सकती हूँ; किन्तु वहाँ तुम्हारे न रहनेसे विनयको बड़ा दुख होगा। वह मुँह खोलकर तुमसे अनुरोध नहीं कर सकता । यहाँ तक कि वह मेरे पास भी सङ्कोच-वश तुम्हारा नाम नहीं लेता । इसीसे मैं समझती हूँ कि तुम पर उसका मानसिक आग्रह बहुत है और ललिता के मन में भी बड़ा खेद होगा। सम्मिलित हो सकोगी!