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गोरा

८० ] गोरा कत्ते में बुला सकी हूँ । उन्होंने पहले जिन सब गुरुतर विन्न बाधाओं की आशंका की थीं, वे सब ईश्वर की इच्छासे दूर हो गई हैं। सब कुछ पका और ठीक होगया है, वर पक्षके लोग एक पैसा भी दहेज न लेंगे और सुचरिताके पूर्व इतिहास पर भी कुछ आपत्ति नहीं करें ने । मैंने इन सब समस्याओं को हल कर दिया है। इसी समय-सुन कर तुमको आश्चर्य होगा-सुचरिता एक दम खिलाफ हो बैठी है; वह व्याह करनेको राजी नहीं होती। उसके मनका क्या भाव है, नहीं जान पड़ता । मालूम नहीं, किसी ने उसको भड़का कर वहका दिया है, और किसी को वह चाहती है । भगवान् हो जाने । लेकिन भैया, तुमसे मैं खुलासा ही कहे देती हूं। वह लड़की तुम्हारे योग्य नहीं है ! दिहात में उसका ब्याह होजायगा तो कोई उसका पहलेका हाल जान भी नहीं सकेगा, और किसी तरह काम चल जायगा । लेकिन तुम लोग शहर में रहते हो, तुम अगर उससे व्याह करोगे, तो शहर के लोगोंगोंको मुंह नहीं दिखा सकोगे। गोराने क्रुद्ध होकर कहा-आप यह सब क्या बक रही हैं ? किसने आपसे कहा है कि मैं उसने ब्याह करने केलिए तैयार हूँ या मैंने उससे इस बारे में कहा सुना है। हरिमोहिनीने कहा-मैं क्या जानू भैया, अखबार में छप गया है और वहीं सुन कर मैं लज्जाके मारे मरी जा रही हूँ | गोरा समझा, हारान बाबूने या उनके दलके किसी आदमीने, अखबार में विषयकी आलोचना की है । गोराने क्रोध से मुट्टी बाँध कर कहा-सब झूठ हरिमोहिनी उसके गर्जन-शब्द से चौंक उठी । बोली मैं भी तो यही जानती हूँ । अब तुम्हें मेरे एक अनुरोधकी रक्षा करनी होगी । तुम राधा-- रानीके पास जरा हो पात्रो । गोराने पूछा-क्यों ? हरिमोहिनी--तुम एक बार चलकर उसे समझा दो। 1