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गोरा

[ सुचरिताके इस प्रश्नके मीतर वेदना का अाभास पाकर परेसने कहा- उससे तो मुझे कुछ कष्ट न होगा राधे। सुचरिताने कहा-ना बाबूजी, मैं मी तुम्हारे साथ चलूँगी। परेश बाबू सुचरिताके मुखकी ओर ताक रहे थे। सुचरिताने कहा- माबू जी, मैं तुमको कुछ दिक नहीं करूँगी। परेश-यह तुम क्यों कहती हो ? हुमने कब दिक किया है ! सुचरिता—तुम्हारे पास न रहनेसे मेरा भला व होगा बाबूजी बहुत-सी बातें ऐसी हैं, जिन्हें मैं समझ नहीं पाती । तुम मुके समझा न दोगे, तो मैं कुछ निर्णय न कर सकूँगी । बाबूजी, तुम मुम से अपनी बुद्धि पर भरोसा करने को कहते हो, लेकिन मुझ में पैसी बुद्धि नहीं है, और मैं अपने मन में वह जोर मी नहीं देख पाती । म मुझे अपने साथ ले चलो बाबू जी । इतना कह कर, परेश की ओर पीठ करके; बहुत ही सिर झुका कर सुचरिता सन्दूक के कपड़े संभालने लगी। उसकी अांखोंसे टप-टप करके श्राँस गिरने लगे। -