पृष्ठ:गोरा.pdf/४९८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
४९८ ]
गोरा

YES ] गोरा हिन्दू मुसलमान, ईसाई श्रादिके किसी समाज से कोई विरोध विद्वेष है। आज इस भारतकी सुमी जातियों मेरी जाति हैं सभीका अन्न मेरा है। किसीसे रोटी बेटीका सम्बन्ध करने में मुझे कोई संकोच या ए: नहीं है । देखिये मैं बङ्गालके अनेक जिलोंमें घूमा हूँ, खूब नीच जाति घस्ती में जाकर उनका भी अतिथि हुश्रा हूं। यह न समझियेगा कि केवल शहर की सभाओं में व्याख्यान भर दिये हैं---किन्तु किसी: सभी लोगोंके पास जाकर बैठ नहीं सका, अब तक अपने साथ ही एक अश्य व्यवधान लेकर घूमा हूँ किसी तरह उसे नांध नहीं सका उसके कारण मेरे मनके भीतर एक बहुत बड़ी शून्यता थी ! उस शूजन, को विविध उपायोंसे अखीकार करनेकी ही मैंने चेष्टाकी है- शून्यताके ऊपर तरह तरह के कारुकार्य कर के उसीको और भी विशेष रूप सुन्दर बना डालनेकी ही कोशिश करता आया हूं, कारण मैं भारतवर्षको प्राणांसे भी बढ़कर प्यार करता हूँ---मैं उसे जिस अंश में देख पाता या उस अंशके किसी स्थल पर कुछ भी अभियोग का अवकाश बिल्कुल ही देख या सह नहीं सकता था, श्राज उस सारे कारुकार्यके बनाने की व्य चेष्टासे छुटकारा पाकर मुझे बड़ा आराम निझा है परेश बाबू ? परेशने कहा-सत्यको जब हम पाते हैं, तब वह अपने सम्पर्श अनाव और अपूर्णताके रहते भी हमारी आत्माको तृप्ति देता है, तव मिथ्या उपकरण के द्वारा सजाने की इच्छा ही नहीं होती। गोराने कहा--- -देखिये परेश वाचू कल रातको मैंने विधाता प्रार्थनाकी थी कि आज सवेरे मैं नवीन जीवनप्राप्त करूँ १ लड़कपन :- इतने दिनों तक जो कुछ 'मिथ्या' जो कुछ अपवित्रता मुझे ढके या हुए थी वह आज सव क्षय हो गई है और मैंने नया जन्म पाया है। मैं ठीक कल्पनाकी सामग्री भाँग रहा था मगर ईश्वरने मेरे उस प्रर्थना के नहीं सुना, उन्होंने अपना सत्य अकस्मात एकदम मेरे हाथमें ला देकर बम विस्मित कर दिया है ! मैंने स्वप्न में भी नहीं सोचा था कि वह इस तरह मेरी अपवित्रताको मिटा देंगे . आज मैं ऐसा पवित्र हो उठा हूँ कि