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५६ ]
गोरा

५६ ] गोरा बातें सुना दे सकती है। बरदासुन्दरी जैसे उसे मनमें डरती है। सहज ही उससे बात करनेका साहस नहीं करती। छोटी लड़कीका नाम लीला है। उसकी अवस्था दस सालके लगभग होगी । वह दौड़ धूप और उपद्रव करनेमें खूब तेज है--सतीशके साथ धक्की धक्का और सदा मारपीट किया करती है। बरदासुन्दरीके आते ही विनय उठकर खड़ा हो गया फिर उसने झुक कर उन्हें प्रणाम किया । परेश बाबूने कहा- इन्हींके घरमें उस दिन हम लोग। बरदासुन्दरीने कहा-~ोह ! आपने बड़ा उपकार किया---श्रापको मैं हृदयसे अनेक धन्यवाद देती हूँ। यह सुनकर विनय इतना संकुचित होगया कि ठीक तौरसे उत्तर भी न दे सका। लड़कियोंके साथ जो युवक आया था, उसके साथ भी बिनयका परिचय हो गया । उसका नाम था सुधीर । वह कालेज में बी० ए० क्लासमें पढ़ता है । उसका चेहरा देखने में सुन्दर और प्यारा मालूम होता था। रंग गोरा था। आँखोंमें सुनहरी कमानीका चश्मा था । स्वभाव: अत्यन्त चंचल था । वह बड़ी भर भी स्थिर बैठना नहीं चाहता-कुछ न कुछ करनेके लिए न्यग्र रहता है । सदा लड़कियों के साथ ठट्ठा करके खिझाकर उन्हें अस्थिर किए रहता है। लड़कियों के साथ सुधीरका संकोचहीन दोस्ताना वर्ताव और हेल मेलका भाव विनयको बिल्कुल नया और आश्चर्यजनक जान पड़ा। पहले उसने इस तरहके व्यवहारकी मनही मन निन्दा ही की, लेकिन फिर उस निन्दाके साथ जैसे कुछ ईर्षा का भाव मिलने लगा। वारदासुन्दरीने कहा----खयाल आता है, मैंने जैसे आपको एक दो बार समाज-मंदिरमें देखा है। विनयको जान पड़ा, जैसे उसका कोई अपराध पकड़ लिया गया।