पृष्ठ:गोरा.pdf/६५

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गोरा

, । गोरा [६ गोरा--जिस डाल पर सब लोग बैठे हों, उसको काट गिरानेही में क्या दोष है ? सुचरिता मनही मन कुढ़कर बोली-माँ झूठ मूठ इनके साथ क्यों बहस कर रही हो ? ये हम लोगोंके हाथका छुश्रा न खायेंगे । गोराने सुचरिताकी ओर एक बार देखा। सुचरिताने विनयकी ओर. देखकर कुछ सन्देह मिले स्वरम कहा-~-क्या आप-- विनय कभी चाय न पीता था । नुसलमानकी बनाई पावरोटी और बिस्कुट खाना भी उसने, बहुत दिन हुए, छोड़ दिया है; किन्तु आज सुचरिताके हाथकी चाय कैसे न पियेगा । उसने कहा-हाँ, क्यों न पिऊँगा ! यह कहकर उसने गोराके मुंहकी ओर देखा । गोराके होठोंमें कुछ व्यङ्गकी हँसी दिखाई दी। विनयको चाय पीने में कुछ अच्छी न लगी। किन्तु उसने पीना न छोड़ा। वरदासुन्दरीने मनही मन कहा--- अहा, यह विनय लड़का बड़ा अच्छा है। तब वह गोराकी और से मुंह फेरकर विनयकी ओर स्नेह दृष्टिसे देखने लगी। यह देखकर परेश बाबू धीरे-धीरे अपनी कुरसी लिसकाकर गोराके पास ला उसके साथ बातचीत करने लगे। इसो समय रास्ते से चीना बादामवाला गरम चीनाबादामकी अावाज लगाता हुश्रा जा रहा था। चीना बादाम का नाम सुनते ही लीलावती ताली बजाती हुई उट खड़ी हुई और बोली-सुधीर भैया चीना बादामवालेको पुकारो । यह सुनतेही छतके बरामदे से जाकर सतीश चीनावादाम वालेको पुकारने लगा। इतनेमें इस मंडलमें एक सज्जन और वहाँ आकर उपस्थित हुए। सबने पानू बाबू कहकर उनसे सम्भाषण किया पर उनका असली नाम हारान चन्द्र नाग है । समाजमें इनकी विद्वत्ता और बुद्धिमत्ताके कारण इनका विशेष यश फैला है। यद्यपि स्पष्ट रूपसे कोई यह बात नहीं कहता था, तथापि इन्हींके साथ सुचरिता के व्याह होनेकी भावना लोगों के मनमें फ० नं०५ ।