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गोरा

। ६८ । गोरा अपनी समग्र जातिकी अपेक्षा बड़े हैं ? आप क्रोध करेंगे, और हम लोग आपके मुँह से अपने बाप दादों की निन्दा सुनेंगे ! इसके बाद हारानवाबूको चुप होकर बैठे रहना और भी कठिन हो गया । वह और भी बुलन्द आवाजसे बङ्गालियोंकी निन्दा करने में प्रवृत्ति हो गये । उन्होंने बङ्गाली समाजकी अनेक प्रकारकी कुप्रथात्रों का वर्णन करके कहा कि इन कुप्रथाओं के रहते बङ्गाली जाति की उन्नतिकी कोई आशा नहीं। गोराने कहा-आप जिसे कुप्रथा कहते हैं वह केवल अंग्रेजी किताब पढ़कर कहते हैं आप उस सम्बन्धमें स्वयं कुछ भी नहीं जानते । अँगरेजों की समस्त कुप्रथाओंकी भी जब अब ठीक इसी तरह अवज्ञा करें तब आप इस सम्बन्धमें बात करें। परेश वाबूने इस प्रसङ्गकी बाते बन्द कर देनेकी चेष्टाकी, क्रोध भरे हारान बाबू निवृत्त न हुए । इसी समय सूर्यास्त हो गया ? पश्चिम आकाश में सर्वत्र लालिमा छा गई। चिड़ियांने अपने घोसलोंका रास्ता लिया। इस जातीय समालोचनासे विनयके मनमें भाँति-भाँतिके बेसुरे तार वजने लगे । परेश बाबू अपनी सायङ्कालीन उपासनाके लिए छतसे उतर कर बागके बीच एक पत्थरके बने चबूतरे पर जा बैठे। वरदासुन्दीका मन जैसे गोरासे फिर गया था वैसे ही वह हारान बाबूसे भी कुछ विशेष प्रसन्न न थी । इन दोनोंका वाद प्रतिवाद जब उसे एकदम असह्य हो गया तब उसने पुकारकर कहा- चलो विनय बाबू, लोग उस कमरे में चलें। बरदासुन्दरीका यह सस्नेह पक्षपात स्वीकार करके विनयको छत छोड़. कर उसकासाथ देना पड़ा। वरदानुन्दरीने अपनी लड़कियांको बुला लिया और अत्र वरदासुन्दरी विनयको अपनी बेटियोंका गुण सुनाने लगी। लावण्यसे कहा-वेटी उठो, तुम अपनी.. वह कापी लाकर विनय आबूको दिखाग्री तो। घर में नये आने वाले लोगोंको कापी दिखानेका लावण्यको अभ्यास