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गोरा

गोरा es । महिम-विनयके साथ शशिमुखीके व्याहकी बातको मैं एक तरह से पक्की ही कर चुका था । गोसको भी आजसे पहले राजी कर लिया था। लेकिन इतने ही समयमें गोरासे स्पष्ट मालूम हो गया कि विनय में हिन्दूपनकी यथेष्ट मात्रा नहीं है। इसीसे गोरा इस विवाहका विरोधी वन गया है। अब तुम यत्न करो तो लड़कीका ठिकाना लग जाय । ऐसा लड़का और खोलनेसे भी नहीं मिलेगा। इतना कहकर छत पर आ गोराके साथ जो बात चीन हुई थी सों सब माहिमने मांको सुना दी। विनयके साथ गोराका विरोध गहरा होता जा रहा है, यह समझ कर अानन्दमयीका नन बेचैन हो उठा। आनन्दमयीने अपर आकर देखा, गोरा छत पर बहलना, बन्द करके एक कुसी पर बैठ कर दूसरी कुर्सी पर पैर रक्खे कोई पुस्तक पढ़ रहा है। आनन्दमयी एक कुसी खींच कर गोराके पास ही बैट गई। गोराने सामनेकी चौकीसे उतर कर सीधे माताके मुख की ओर देन्वा । अानन्दमयीने कहा-बेटा गोरा, मेरी एक बात मान ! विनयके । साथ झाड़ा या मनमैली मत कर । मेरी निगाह में तुम दोनों दो भाई हो; तुम्हारा परत्सन बिछुड़ना मुझसे सहा न जावगा ! गोराने कहा-मित्र अगर स्नेहका बन्धन काटना चाहता है, तो उसके पीछे दौड़ने में मैं अपना समय नष्ट न कर सकूगा। आनन्दनवीने कहा--भैया, मुझे नहीं मालूम, तुम दोनांके बीच क्या झगड़ा है, लेकिन अगर तुम यह विश्वास करो कि विनय तुम्हारे सेह-बन्धनको तोड़ना चाहता है, तो फिर तुम्हारा मित्रताका जोर कहाँ रहा। गोरा ~~मैं सीधे चलना पसन्द करता हूँ। दो नावामें पैर रखना जिसका स्वभाव है, उसे अवश्य मेरी नावसे पैर उठा लेना होगा, इसमें चाहे मुझे कष्ट हो और चाहे उसे कष्ट हो । आनन्दमयी-अच्छा हुआ क्या, बताओ तो । ब्राह्म लोगोश घरमें वह आता जाता है, यहीं तो उसका अपराध है ? फ. नं०७