पृष्ठ:गोर्की की श्रेष्ठ रचनाएँ.djvu/१९३

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भावारा प्रमो ____ वह लगातर , बिना रुके प्रश्न पूछे चला जा रहा था जैसे मटर की सूखी फलियाँ हिलाने पर खड़खड़ाने लगती है । मैंने उसे बताना शुरू किया कि प्रोस्पेक्टस का क्या अर्थ है और वह बिना इस बात की प्रतीक्षा लिए कि मैं बात पूरी कर लू , चोलता चला गया । " गत रात्रि को वह येवकूफ लेखक , रेड डेमिनो, छापेखाने आया पीए हुए, जैसी कि उसकी हमेशा की पादत है और मुझसे प्रश्नों की कमी लगा दी कि तुम्हारे प्रोस्पेक्टिघ ( भविष्य की उन्नति की आशा ) कसे हैं । " वटन को जिस स्थान पर ठसे लगाना चाहिए था उससे कुछ ऊपर सीकर उसने अपने सफेद दाँतों से धागे को काटा फिर अपने मोटे फूले हुए होठों को चाटा और उदास स्वर में बोला - - "लिजोच्का का कहना बिल्कुल ठीक है । मुझे किताबें पढ़नी चाहिए । नहीं तो मैं जीवन भर मुर्ख और जङ्गली ही वना रह कर मर जाऊँगा और कुछ भी नहीं सीख सकूँगा । परन्तु मैं पद कब ? मेरे पास समय तो है ही नहीं " " इन लड़कियों के पीछे घूमने में इतना समय बर्बाद मत किया फरो . . . " " क्या मैं कोई मुर्दा । मैं अभी बुढा तो हुधा नहीं हू ! प्रतीक्षा फरो । जब मैं शादी कर लूगा तो यह काम छोड़ दूंगा । " शरीर को फैलाते हुए उसने कहा • " मैं लिजोका से शादी करूंगा । वह एक फैशनेविल लड़की है । ठसफा झाक उसका "" • उसे क्या कहते है ? .. . . साटिक का बना हुमा है । वह उसे पहन कर इतनी सुन्दर लगती है कि जब में उसे उस फाक को पहने देखता हूँ तो मेरे पर कॉपने लगते हैं । मेरी ऐसी इच्छा होती है कि में उसे जल्दी से निगल जाऊँ । " बहुत गम्भीर होकर मैंने कहा : " सावधान रहना ! कहीं तुम स्वय न निगल लिए जानो । " उसने शक्ति भाव से मुस्करा कर सिर हिलाया ।