पृष्ठ:गोल-सभा.djvu/१११

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नवाँ अध्याय १०१ सरकारी अधिकारियों के द्वारा भारत के लिये जो पवित्र और शुभचिंतना-पूर्ण घोषणाएँ हुई हैं, उन पर हमें हार्दिक दुःख है। अपने शासन-काल में अँगरेजी जाति ने प्राचीन भारतवर्ष की सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक अवस्था का नाश करके सब प्रकार उसको अयोग्य बना दिया है। वह स्वयं इस बात को अस्वीकृत नहीं कर सकती कि उसने जो कुछ भारत में रह- कर अपने शासन में किया है, उससे हम बर्बाद होने के अतिरिक्त किसी प्रकार भी उन्नति की ओर अपने पैर नहीं उठा सके। परंतु हम समझते हैं कि आप और हमारे अन्य कुछ देश के शिक्षित भाई इसके विपरीत सोचते हैं। आप गोल-सभा पर विश्वास करते हैं, इसलिये हम प्रसन्नता के साथ उसमें सहयोग देने के लिये तैयार हैं, और उसके संबंध में हम जो कुछ कर सकते हैं एवं जिन अवस्थाओं में कर सकते हैं, उन सब बातों का निम्न-लिखित पंक्तियों में उल्लेख है- चार शते हम समझते हैं कि वाइसराय के पत्र में, जो उन्होंने आपको दिया है, जिस सभा का जिक्र है, और उस सभा के लिये जिस भाषा का उपयोग किया गया है, लाहौर-कांग्रेस में स्वीकृत मांगों के आधार पर उसका कोई मूल्य और महत्त्व ही नहीं रह जाता। हम इस समय कुछ भी उत्तरदायित्व के साथ कह सकने में तब तक असमर्थ हैं, जब तक कि हम अपने