पृष्ठ:गोल-सभा.djvu/१९२

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१७४ गोल-सभा समस्याएँ, (५) अंतर्राष्ट्रीय कर्ज या साम्राज्य का कोई कर्ज, जिसमें भारत सम्मिलित हो, (६) देश के अंदर शांति रखना, (७) आर्थिक समस्याएँ और वर्तमान क़ज़ का निबटारा, (८) अल्प-संख्यक जातियों की रक्षा, ()अनुचित आर्थिक और व्यापारिक निर्णयों में दखल देना, (१०) उन नौकरियों का अधिकार, जिनका निर्वाचन भारत-मंत्री करते हैं, (११) शासन-विधान की रक्षा। खरीते के प्रारंभ में कहा गया कि योग्यतम होने के कारण साइमन-रिपोर्ट की प्रणाली का अनुकरण किया गया है। कमी- शन के साथ काम करनेवाली प्रांतीय कमेटियों और केंद्रीय कमेटी की रिपोर्ट भी देखी गई हैं। भारतवर्ष के विचारवान् व्यक्तियों के स्वतंत्र व्यक्तिगत विचारों का भी ध्यान रक्खा गया है। १९२६ की नेहरू-रिपोर्ट यद्यपि अब राजनीतिक क्षेत्र में प्रमुख स्थान नहीं रखती, तथापि अब तक के राष्ट्रीय विचारों का जैसा अधिकारी और व्यापक संग्रह उसमें है, अन्यत्र नहीं। हमने उस रिपोर्ट से भी काम लिया है। इसके अतिरिक्त साइमन- रिपोर्ट के प्रकाशित होने पर भारत में उस पर जो सम्मतियाँ प्रकट की गई हैं, उन पर भी हमने यथोचित ध्यान दिया है। और, हाल की सम्मतियाँ तो गोल-सभा के भारतीय प्रतिनिधियों द्वारा ही प्रकट की जायेगी। राजनीतिक शक्तियाँ भारत की वर्तमान राजनीतिक अवस्था का चित्र खींचते हुए