पृष्ठ:चंदायन.djvu/१२१

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सुन्दर फागुन [---.--] री । केम सिंगार के [-------] ॥३ जिंह रस दीस नन फले टेसू । हा पी चिन भइ हासन भेसू ॥४ ] ॥७ टिप्पणी-उपलब्ध पोगे में भीपक और अतिम तीन पनियों नहीं आयी है । तीसरी पत्ति भी अत्यन्त अस्पष्ट है। (१) फागुन पवन-पगुनहर यह बहुत तेन और बरसोली होती है। (२) यूज-इसे फारसी म जा रहते है । आइने अक्बरी म इसे गुलाब ६ आकृति का फूल कहा गया है । सम्भवत यह मोतिया या बल का ही पारसी नाम है । करना (स० वण)-मोनियर विलियम्स के सस्कृत कोष के अनुसार कण अमलतास और आक (मदार ) के पुष्प को कहते है । हिन्दी शब्द सागर में इसे केवड की तरह लम्बे कि तु बिना काटोवाला पौधा कहा गया है और पयाय रूपम सुदशन का उल्लेख है। आदने अकबरी व फूल की सूची में इसे बसन्त म फूलनेवाला सफेद पूर बताया गया है। (पजाय []) (चैत वणन) चैत नॉग सय क [-----] ई 1 [----] तर होइ भुई [-----] ॥१ जोह कहो सभ जग होली । [----- --] धरती फली ॥२ नौ खंड फूले फूल सुहाए । [-- ... --....-] ॥३ सखी बसन्त सभ देख[----] | [ - - - - - - - - - - - --]॥४ हीउर जैस चैसन्दर जरै। --- - - - - - - ॥५ [------


॥७

दिप्पणी-यह पृष्ट अत्यत जीण अवस्था म है। इसका अधिकाश अश गायर हैं। जो रचा है वह भी उपलब्ध फोटो म अत्यन्त अस्प है। अत जो कुछ अनुमानत पदा जा सका दिया गया है। पर इसे एक सामाय वाचन ही मानना चाहिये।