पृष्ठ:चंदायन.djvu/१२५

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(६) है-ठौर, जगह। (७) संवर सवर-स्मरण कर करके। ७१ (रीलैण्ट्स ३८) रसीदन बाजिर दर शहरी व सुरूद कर्दने बाजिर अन्दर शब व शुनीदने राय अज वाम (याजिरका एक नगरमें जाकर रातको गाना और छतपरसे राजाका सुनना) एक पॅड छाड आन सँड जाई । मॉस एक बाजिर बाट घटाई ॥१ पुनि जो आइ भयउ पैसारा । पैठि पौरिया नगर दुआरा ॥२ बात पूझ सब लेतस नॉऊँ । भीख मॉग साओं इह गाँऊँ ॥३ राई रूपचंद वॉठ सरेसा । नगर राज फिर वाजिर देखा ॥४ दिवस गयो निसि भयउ उवेरा । बाजिर फिर कर लेत बसेरा ॥५ तिहै रात सुहावन, नाजिर ठोका तार ६ गाइ गीत चॅदरावल, नगर भयउ झनकार ।।७ टिप्पणी-बैंड-खण्ड, देश विभाग । (रीलैण्ड्स ३९) दर रोज तल्बीदन राव बाजिर रा व पुरसीदन वैफ्यिते सुरूदे शब (दूसरे दिन राधका याजिरको बुलाकर गानेका कारण पूछना) दिन भा राजे पॉठ बुलाया । आज रात निसहै के गावा ॥१ पॉठ कहा हिवाँ क न होई । होइ रजायसु ऑनों सोई ॥२ चहुँ दिसि पॉठे जन दौराये । बाजिर हेर टोह ले आये ॥३ पूछा राउ कौन तोर ठाऊँ । सुर कण्ठ तिह दीन्हि गुसाऊँ ॥४ आज रात निसह ते गावा । चेंदरावल मन रहरॉ लावा ॥५ गीत नाद सुर कवित कहानी, कथा कहु गारनहार ।६ मोर मन रैन देवस सुख राख, पूँजसु गाउँ गितहार ॥७