पृष्ठ:चंदायन.djvu/१२६

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११६ टिप्पणी-(२) इहवा-- यहाँ । रजायसु-राज्यादेश । आना-रे आऊँ। (३) हरे टोह-दूँद-खोज कर । (७) गितहार-गीतकार, गायफ । ७३ (रीरेण्ड्स ४०) हिकायते दीदने चॉदा वयान क्दन पेश राव रूपचन्द (राव रूपचन्दके सम्मुख चाँदाके दर्शनका उल्लेख) सुवन क सुनॉ कहउँ हो काहा । बोलेउ सोइ जो देसउँ आहा ॥१ नगर उजैन मोर अस्थानू । विकराजित राजा धरमानू ॥२ चारिउ भुवन फिरत हों आया । गोवर देसेउँ नगर सुहावा ॥३ तिहवा चॉद तिरी मै देखी । पाथर कीर जइस चित पैठी ॥४ मनहुत कइसहिं मेट न जाई । दिन-दिन होई अधिक सवाई ॥५ सहदेव महर कर धिय चॉदा, चहूँ भुवन उजियार ।६ मानिक जोत जान वर जरॅहि, नागर चतुर अपार ॥७ ७४ (रीलैण्ट्स ४१ , बम्बई ६०) आशिफ शुदने राय पर नामे चाँदा व अत्प दहानीदन याजिर रा (चाँदाका नाम सुनकर रावका आसान होना लार याजिरसो घोड़ा देना) सुन कै चाँद राउ ॲगराना । बाजिर उधत नीर धर आनॉ ॥१ जसको सूत वैठि उठि जागी । राजा हिये चटपटी लागी ॥२ तुरी दह बाजिर कहें आनी । पीठ खाल पाखर सनवानी ॥३ बाजिर कौन देस सो नारी । ठौर कहउ बरु तुमहि विचारी ॥४ करनकहउऔ लसन यिसेखी । अछर रूप सो तिरिया देखी ॥५ मारग कौन कैस येउहारा, लाँर छोट कस आह ।६ सहज सिंगार मोग रस, पिंडक, पराक्रित के चाह ॥७ ७४