पृष्ठ:चंदायन.djvu/१३१

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१२१ सहज रात जनु सुरॅग पटोरी । और रंगराती पान सुपारी ॥३ हार डोरिह सिंह रंग राता । तिहरंग पाजिर कही सो पाता ॥४ जान निरासा कस लै जीवा । खॉड आन तिह ऊपर पीवा ।।५ अस कै अधरै सुन के, राजा मा मन भोर ६ रफत धार सिंह सेंह, रस धर मारा जोर ॥७ ८२ (रीलैण्ड्स ५७१) सिफ्ते दन्दान चॉदा गोयद (दन्त वर्णन) चौक भये पानहि रंग राता । अंतरहिं लाग रहे जनु चॉता ॥१ अधर कहिर जो हॅसे कुवारी । मिजरी लौक रैन अँधियारी ॥२ मुख भीतर दीसै उजियारा । हीरा दसन करहिं चमकारा ॥३ सोन साप जानु गढ़ घरे । जानु सूकर कर कोठिला भरे ॥४ दारिउ दॉत देखि रस आसा । भेवर पंख लागै जिंहिं पासा ॥५ समझा राउ रूपचन्द, सुनिके वचन सुहाउ ।६ - भोजन जेवत राजहि, लाग दॉत कर घाउ ॥७ टिप्पणी-(१) चौक-(स० चतुफ) आगे चार दाँत । चाँता-चींग। (४) सोन-सोना, मुवर्ण । खाप-लम्बी गुल्ली । कोटिला-कोठार, अनाज रखनेका बड़ा पात्र या घर । (८) दारिंउ-दाडिम, अनार । (रोरैण्ड्स ४७व) रिफ्ते जुगने चाँदा गोयद (रसना पूर्णन) चॉद जीभ मुख अमरित बानी । पान फूल रस पिरम कहानी ॥१ पदुमनि वचन नीदि सुनिआवड | दुस वरै सुख रैन बिहावइ ॥२ अपरित कुण्ड भयउ मुस नारी । सहज मात रस बहै पौनारी ॥३