पृष्ठ:चंदायन.djvu/१५

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उन्होंने अपने सूनसे जात ईस्वी सन् को विक्रमी सवत् मान लिया । इस विक्रम सवत्के साथ खुसरोकी कल्पना सहज ही है । रामकुमार वर्मा की तिथि १३७५ भी वस्तुतः विक्रमी संवत् न होकर ईस्वी सन् ही है । ईस्वी सन्के रूपमे मिश्रवन्धुकी तिथि १३८५ और रामकुमार यमाको तिथि १३७५, दोनों ही फीरोजशाह तुगलकके समय और जौनाशाहके मन्त्रित्वकालमें पड़ते हैं । फिर भी जैसा कि हम आगे देखगे, ये दोनों ही तिथियाँ वास्तविक रचना तिथिमे थोडी भिन्न है। दाऊद फीरोजाह तुगलकके समय हुए थे, यह तथ्य मुनतखरके माध्यमसे अजरत्नदास द्वारा प्रकारानमें लाये जाने के पूर्व भी कुछ लोगोको ज्ञात था। - उत्तर प्रदेशके प्रादेशिक गजेटियरों के प्रणेताओंने इस यातका स्पष्ट उल्लेख किया है; किन्तु हमारे अनुसन्धित्सुओंका ध्यान उस ओर जा ही नही सका । राययरेली जिलेके गजेटियरमें डलमऊनगरके इतिहासके प्रसगमें कहा गया है कि अल्तमशके शासन- कालमें इस नगर (डलमऊ)ने समृद्धि प्राप्त की। उसके समयमें यहाँ मखदूम बदरुद्दीन रहा करते ते । तत्पश्चात् फीरोजशाह तुगलकके समय तक उन्नति पर था। उसने जनतामें मुस्लिम सिद्धांतोंके प्रसारके नियमित यहाँ एक विद्यालय स्थापित किया था । इस विद्यालयकी उपयोगिताका अनुमान डलमऊ निवासी मुल्ला दाऊद द्वारा सम्पादित 'चन्द्रनी' नामक भाषा पुस्तकको देखकर किया जा सकता है। अधिके प्रादेशिक गजेटियरमें भी यही पान इन शब्दोंमे कही गयी है-फीरोजशाह तुगलकने यहाँ (डलमऊ) मुसलिम धर्म और विद्याके अध्ययनके लिए एक विद्यालयकी स्थापना की। इसकी उपयोगिता इस बातसे प्रकट है कि डलमऊके मुल्ला दाऊद नामक कवि ने ७७९ हिजरीमें भाषामें 'चन्द्रनी' नामक ग्रन्थका सम्पादन किया। १९४४ ई० में श्यामसुन्दरदासके हिन्दी साहित्य का तृतीय परिवर्दित सस्करण प्रकाशित हुआ । उसमें उन्होंने दाऊद और चन्दायनकी चर्चा सक्षेपमें की है, पर उसमें कोई उल्लेखनीय सूचना नहीं है । स० २००७ (१९५१ ई०)में परशुराम चतुर्वेदीने सुपी प्रेम-काव्यों के अवतरणोंका सग्रह सूफीकाव्य-संग्रहके नामसे प्रस्तुत किया। इसमें दाऊद के सम्बन्धमें कुछ पक्तियाँ हैं जो अपने आपमें मनोरजक हैं। उन्होंने लिखा- इस रचनाका सर्वप्रथम उल्लेख हि० सन् ७७२ (सं० १४२७) में अर्थात् फिरोजशाह तुगलकके शासनकाल (संवत् १४०८- १४४५) में हुआ है । डाक्टर रामकुमार वर्माने दाऊदको अलाउद्दीन खिलजी (राज्यकाल सं० १३५२-१३७३) का समकालीन समझा है और उनकी कविता काल सं० १३७५ ठहराया है, जो अनुचित नहीं कहा जा सकता। जान पड़ता है कि मुल्ला दाऊद इस प्रकार अमीर खुसरोका भी समकालीन था। मुल्ला दाऊदके सम्बन्धमें यह पता नहीं चलता कि उसका हिन्दवी रूप क्या १ डिस्ट्रिक्ट गजेटियर आवद युनाइटेड प्राविन्सेन, भाग ३५, रायबरेली, पृ० ११२ । २. गोटियर आव द प्रापिस आफ भवथ, भाग १, पृ. ३५५ ।