पृष्ठ:चंदायन.djvu/१६५

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१५५ रनमल मरत सिरीचॅद आवा । रनपत पाखर साल सिंचाचा ॥४ अजैराज सेंगर कर गहे । मारसि चेलक पाखर रहे ॥५ छाड़ सिरीचॅद पासर भागा, जिउ ले गयउ पराइ ।६ राइ देसि बॉठा, तुम कस झूज न जाइ ॥७ टिप्पणी-(२) 'चला रजाइ फेरि ऊतरा' पाठ भी सम्भव है। १३५ (रीरेण्ड्म ९४) आमदने बाँठा वा फौज खुद दर मैदान जग ( युदक्षेपमें ससैन्य बाँटाका भागमन) वीरपाल करपत लै आवउँ । भजवीर हमीर सनेकन बुलावउँ ॥१ करमदास मतिराज देवानन्द । विजैसेन औ महराज विजेचन्द ॥२ विकटनगर व देखें ताको । हरदीन खीरू मरदेउ जाको ॥३ देवराज हरराज सरूपा । अजयसिंह हरपार निरूपा ॥४ धीरू हरखू गनपत आनों । सिउराज मदन भल जानों ॥५ तीस पसरिया आनों, सब दर मारों आज ।६ हाथि घोड धन चाँदा लीजइ, गोवर कीजइ राज ॥७ १३६ (रेण्ट्स ९५) पिरस्तादने महर लोरस वा मुकाबिले बॉटा ( महरका घाँटाका सामना करनेके लिए लोरकको भेजना) आनै पौर बॉठा लइ आया । महर देखि औ लोर बुलाया ॥१ लोरक वीर पखरिया पारहु । प? डाकवइ तीस हँकारहु ॥२ पॉच बैस पाँच चौहाना । सतरी पॉच देस जिहि जाना ॥३ नाऊ एक तीन साहने । पासर एक सरोद के गिने ॥४ गहरवारा औ रोद दस आनी । पासर कुण्ड तुलानेउँ जानी ॥५