पृष्ठ:चंदायन.djvu/२१७

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२०७ २२० (रीलैण्ट्स १७२५) जवाब दादन लेरक चॉदा रा (ोकना चाँदको उत्तर) पान भयउँ चॉदा तिहि जोगू । सर दइ सेलेउँ चित धर भोगू ॥१ काट गहउँ जस सोवा सारी । सांड पेस दोइ कीन्हउँ मारी ॥२ आतिस कादि कीन्ह दोई आधा | आवसु चॉद में आपुहि साधा ॥३ बिरह दगध हो जो तॉ कीन्हा । जरत नीर तिह ऊपर दीन्हा ॥४ अन छाडेउँ बिरहै के झारा । पानी के हो रहेउँ अधारा ॥५ कहूँ निरत सब आपन, आप जो पूछह बात ।६ अधर धरै के वेरै, तिहि रंग तोरें रात ॥७ २२१ (रीलैण्ड्स १७३) गुफ्तने चाँदा हिकायते मैना या लोरक (चाँदका लोरकसे मैनाको प्रशसा) सुरंग सेज भरि फूल बिछावसि । कँवल कली तस मैना रावसि ॥१ अस धनि छाड जो अनतें धावा । किये सनेह तो हँई झुटकावा ॥२ भँवर फूल पर रहेइ लुभाई । रस ले ताकहिं फिरि नहिं जाई ॥३ काह लाग तूं कुबरी करसी । सनेह के लिलार घूट न धरमी ॥४ अरै लोर तूं किहें चोरावसु । तिहँ बोराउ जहाँ कछ पारसु ॥५ का अचेत हो चाउर, के तू लोर बोरायसि ॥६ कै सनेह महें झरॅकस, जित भाइ तित जापसि ॥७ टिप्पणी-(२) अनतअन्यत्र । (३) साहि-देखने । फिरि-ौवर । (१) बोरावमुभुलारा देता है, यहकाता है । वोराइ-महाओ।