पृष्ठ:चंदायन.djvu/२१९

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२२४ (रोलैण्ड्स १७४ ब) वैफियत दर रादह व लागे शब गुजरानीदन ___(हसी मजाकमें रात बिताना) अपरित पचन चॉद अनुसारा । हँसा लोर भा बोल अपारा ॥१ हॅसि के लोर चीर कर गहा । मोतिह हार टूटि के रहा ॥२ चॉद कहा सिन एक सॅभारहु । हार टूटि गा मोतिह सॅभारहु ॥३ चीनि मोति सम बीर उचाबहु । तो चढि सेज पिरम रस रावहु ॥४ मोति उठावत रैन बिहानी ! उठा सूर पै साधन मानी ॥५ चीर डरान भोर भा, मन के चेंत गॅवाउ ।६ सेज हेठ लै चॉदें, सूरज दिवस लुकाउ ॥७ टिप्पणी-(७) हेठ-नीचे। (राम्भर है यहाँ कुछ और कडवक रहे हो ) २२५ (रीलैण्ड्स १७५) मुजामअत पदने लरक वा चाँदा (लोरक-चाँदाका प्रणय) खिन एक हाथ पाय ग आये । फुन रे भिरे दुहुँ हीउर लाये ॥१ यहि मुहाग दह दूसर धरे । सडे ऊठि जनु साँझे मिरे ॥२ अधर अधर कर कर गहे । नाभी नाँह सो ताने रहे ॥३ जॉग जोर तम के लै लाये । जनु गज मैमत बरकहुँ आये ॥४ काम मुति रस यहि निसि आहे । फुनरई बहुत अचरव ते भये ।।५ चॉद घरहिं सूरज आवा, रैन झमासी होड ६ पॉचभूत आतमा सिराने, अस निरसो सब कोइ ॥७