पृष्ठ:चंदायन.djvu/२२२

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२१२ चॉदा सुरुज घर धरा जुहाई । राहु गरह दोइ गहने आई ॥३ लोर चौखण्डी दई सॅभारा । कोह दिवस अथवा करतारा ॥४ अइस कुलसनॉ मृड कुटाउब | वॉध चोरै वर रूस टॅगाउच ॥५ नैन मीजु होइ इके, रकवहि रहा सुसान ।६ विनु जिय लोरफ सेज तर आहे, आपुन किया न जान ॥७ २३१ (रीलेण्ड्स १८.) निदाअ कर्दने लोरर रा चॉदा (चाँदका लोरकको यिदा करना) अथवा सुरुज चाँद दिसरागा । अमरित छिडक लोर जियावा ॥१ आपुन मींचु नैंन मै देसी । मींचु आइ फिर गयी विसेसी ॥२ सूर जियाउ चॉदा रानी । अति औसान भया तिह वानी ॥३ इँह बर रैन जो दयी जियावइ । मॉस मीचु नहिं नियरे (आवइ)॥४ काहे अस मन करहु मरारी । चॉद घायन पर बाँह पसारी ॥५ सुनु लोरक एक विनती, अब तुम काह सँसाह ।६ हों तुम्हरे जइस पियाही, तूं मोर वियाह नाह ॥७ मूल पाट-(४) जाया। टिप्पणी-(५) मरारी-गगल, म्लान । २३२ (रीरेण्ड्म १४२) पुम्द मदने लोरर जज कसे चाँदा व सर यातन दरपानान (लोरक या चाँदके महास नीचे आना और द्वारपारांझा देय देना) भोला पीर बाट टिसरामह । ओ तुम चाँद पार लड आवटु ॥१ उतरी चाँद मंदिर चल आई । भू पर सूरज गोहन लाई ॥२. छाडि मंदिर येगिघर मारा । पर यरियहि जाग सँसारा'] ॥३