पृष्ठ:चंदायन.djvu/२३८

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२२९ २६१ (रीलैण्ड्स २०८ अ) गुफ्तन मैना चॉदा रा आँचे हिकायत बूद (मैनाका चांदकी वास्तविकता प्रकट करना) तू जोगिन यह भैस भरावसि । गुनितगार लेखें वोरावसि ॥१ अस तिरिया फुनसती(कहावइ)। घरॉ घरॉ जग फिर फिरि आवई।।२ न चलन आछै एकौ धरी । परत दसाँपन ऊपर परी ॥३ महँ तरहुँत चॉदा आयहु । कारकीत मुख सरग लुकायहु ॥४ लेके मोर भतार छिपाई । देखेउँ गयउँ दुआर दिवाई ॥५ सिंह दिन कर तू बहुर कही, पाछे हेरत आइ १६ देस मॅदिर जग जानी रहँस, नहिं तिह लजाइ ॥७ मूलपाठ-(२) कहावा । टिप्पणी-(३) दाँदन-बिछौना, विस्तरा । २६२ (रोलैण्ड्स २०८य : बम्बई २३) जवाब दादने चाँदा मर मैंना रा (चादका मैनाको उत्तर) हिय वितार हौ तिह पिय जोगू। ऐसो कहा किह संभो' लोगू ॥१ जिंह रुपबन्तहि यह धनि मोहे । तिह के नारन बाँधा सोहै ॥२ सुनते देह मोरे ॲगराई । देसत मरी आहे विगराई ॥३ गाय चरावइ करें दुहावा । सिंह से यहँ अगरग लावा ॥४ सिंह धौराहर मोर पसेरा । सीस दृष्टि जे ऊपरं रा ॥५ राड कुँवर नर नरवई, मन मोहें एक सिंगार १६ तोर भतार र अरकाऊँ, ऊचहि पौर दुआर ॥७ पान्तर--पापई प्रति- शीर्षक-बुर्गी व बलन्दी खुद नमूदने चाँदा व इहानतो हिमाक्ते लोरक