पृष्ठ:चंदायन.djvu/२४१

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२३२ २६६ (रीलेण्ड्स २१०) दस्तदराने कर्दने चौदा या मेंना (बदिशा मैनासे हाथापायी करना) अरग ठाढ हुत मैनॉ नारी । दौरि चाँद बरु बाँह पमारी ॥१ अमर भाग के अभरन तानी । हार टि गा मोति छरियानी ॥२ एक बेर निकला दोड टूटी। माँग सलोनी मानिक फुटी । टूटि हार धाँधस भये । चोली चीर फाटि के गये ॥४ रसरी खूट दोउ घर परी । मानिक हीर पदारथ जरीं ॥५ अभरन टि निथर गा, मैंना गड फॅपलाइ ।६ चाँद मेल देउ घर, मिली तराइन जाइ ।।७ टिप्पणी--(१) अरग- अन्ग । (२) उरियानी-छिटरा गया, पिसर गया। (५) रखरी-हायका कदा । खूट-कानका आभूपण । (६) विधर-सिर । २६७ (रेण्ड्स २११) मुत्पम गिरफ्तने चौदा मर मैना रा व मैंना नीज (मैनाका चाँदको और चाँदका मैना को पकड़ना) जात चॉद मैना फिरिहिरी । जानु मँवरी मारस घरी ॥१ तानसि चीर चाँद भड नॉगी ! परा हाथ गड फाट हटाँगी ॥२ दस नस लाग दुहुँ धनहारा | चाँद रात भड रकतहिं धारा।।३ केय इटि दुहुँ दिसि छिरयाये । जनु नाँनत अभयाँ लह आये ॥४ सोरह करों चाँद के गयी । करा उतार घरी एक भयी ॥५ साल रूप के चाँगर कही, मैंना कहि सिरान !६ चाँध चाँद गर कापर, पेतम वीर परान ॥७